Re: राजस्थान का शौर्यपूर्ण इतिहास : एक परिचय
सूर्य तथा चंद्रवंशीय मत
अग्निवंशी राजपूतों के समान ही अपनी दैव उत्पत्ति मानते हुए राजपूत वंशों ने स्वयं को सूर्यवंशी अथवा चंद्रवंशी होने की श्रेष्ठता प्रतिपादित की है। डॉ० ओझा अग्निवंशी मत का खण्डन करते हुए राजपूतों को सूर्य और चंद्रवंशीय मानते हैं। इसके प्रमाण स्वरुप शिलालेखों व ग्रन्थों का उल्लेख करते हुए कहते हैं कि नाथ लेख (९७१ ई०) आरपूर लेख (१२८५ ई०), आबू शिलालेख (१४२८ ई०) तथा श्रृंगी के लेख में गुहिल वंशी राजपूतों को रघुकूल (सूर्यवंश) से उत्पन्न माना है। पृथ्वीराज विजय, हम्मीर महाकाव्य और सुजान चरित्र में चौहानों को क्षत्रिय माना है। वंशावली लेखकों ने राठौरों को सूर्यवंशी और यादवों, भाटियों एवं चंद्रावती के चौहानों को चंद्रवंशी माना है। इन प्रमाणों के आधार पर डॉ० ओझा राजपूतों को प्राचीन क्षत्रियों के वंशज मानते हैं।
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आपका दोस्त पंकज
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