Re: किस्सा तीन बहनों का
किस्सा तीन बहनों का
बादशाह उनके शिष्टाचार, शारीरिक सौंदर्य और वीरता से अत्यधिक प्रभावित हुआ। वह उन्हें अपने से अलग करना ही नहीं चाहता था। उसने कहा, मैं चाहता हूँ कि तुम लोग यहाँ से मेरे साथ महल में चलो और मेरे साथ भोजन करो। बहमन ने कहा, हुजूर, इस समय आपका साथ न कर सकेंगे। इस उद्दंडता के लिए क्षमा चाहते हैं। बादशाह ने आश्चर्य से पूछा, क्यों? बहमन बोला, हमारी एक बहन है। हम तीनों जो भी करते हैं तीनों की सलाह से करते हैं। हम बहन की सलाह ले कर ही आपके यहाँ आ सकेंगे।
बादशाह ने कहा, मुझे इस बात की बड़ी खुशी है कि तुम भाई-बहन एक-दूसरे की सलाह ही से काम करते हो। आज तुम अपने घर जाओ। अपनी बहन से सलाह करके कल यहीं शिकार खेलने आना और मुझे बताना कि तुम लोगों में क्या सलाह हुई है। बहमन और परवेज बादशाह से विदा हो कर अपने घर आए किंतु उन्हें बादशाह की कही हुई बात याद न रही और उन्होंने बहन से कोई सलाह नहीं ली। दूसरे रोज वे शिकार खेलने गए तो वापसी में बादशाह ने पूछा कि तुमने अपनी बहन से सलाह ली या नहीं। अब यह दोनों घबराए।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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