Re: किस्सा तीन बहनों का
किस्सा तीन बहनों का
चिड़िया ने कहा, मालकिन, तुम्हारे भाइयों को बादशाह की आज्ञा जरूर माननी चाहिए। वह अपने राज्य काल में सभी का मालिक है। उसका मेहमान बनने में इन दोनों को किसी प्रकार हानि नहीं होगी। वे शौक से जाएँ। लेकिन इसके बाद यह भी जरूरी है कि बादशाह को अपने घर आ कर भोजन करने का निमंत्रण दें। परीजाद ने कहा, मैं अब अपने भाई को उनके साधारण कामों के अलावा कहीं जाने देना नहीं चाहती। मैं उनकी सुरक्षा के लिए डरती रहती हूँ। चिड़िया ने कहा, उन्हें बेखटके भेजो, उन्हें कोई नुकसान नहीं होगा। परीजाद ने कहा, अच्छा, जब बादशाह यहाँ आएँ तो मैं उनके सामने निकलूँ या नहीं। चिड़िया ने कहा, इसमें कोई हर्ज नहीं है। हर बादशाह अपनी सारी प्रजा के लिए पिता के समान होता है और पिता के सामने जाने में किसी को झिझक नहीं होनी चाहिए। परीजाद ने इसके बाद भाइयों से कहा कि तुम बादशाह का निमंत्रण स्वीकार कर लो लेकिन इसके बाद उससे एक बार यहाँ भोजन करने को भी कहो।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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