Re: ग़ज़ल- मत बाँधों ग़म को तुम मन के खूँटे से
बहुत सुंदर ग़ज़ल. जीवन में ख़ुशी और ग़म दोनों हैं. लेकिन गम में इतने मत डूब जाओ कि ख़ुशी के अवसरों को पहचानने से इनकार कर दो. ख़ुशी के दो पल भी इतने बड़े बना दो कि उनमें ग़म छुप जाएँ.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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