Re: मेरी कहानियाँ / दत्तक पुत्र
अद्भुत कथा है, मित्र। आप चाहते, तो कथा को बहुत विस्तार दे सकते थे, किन्तु आपने गागर में ही विचार और ज्ञान का वह सागर भर दिया, जिसके लिए कभी-कभी उपन्यास भी लघु सिद्ध हो जाते हैं। साधुवाद आपको।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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