Re: इधर-उधर से
दिल्ली में फटफटिया की सवारी
यह गाड़ियाँ किस प्रकार वजूद में आयीं यह जानना भी दिलचस्प होगा. हुआ यूँ कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद ‘हार्ली डेविडसन’ की बहुत सी मोटर साइकिलें जो सैनिकों द्वारा इस्तेमाल की गयी थीं, डिस्पोजल के लिए भारत में लाई गयी थीं. युद्ध के बाद इनका बड़ा ज़खीरा इकठ्ठा हो गया था. अधिकतर मोटरसाइकिलें नीलामी द्वारा बेच दी गईं. कुछ लोगों ने दिमाग लगाया कि इनका व्यावसायिक रूप से उपयोग करना चाहिए. सो तीन पहियों वाली मोटर साइकिल का डिज़ाइन बना दिया गया जिस पर अलग अलग साइड में छः सीट बना दी गई व ऊपर छत डाल दी गई. तो इस प्रकार दिल्ली में फटफटिया तैयार हुई और सड़कों पर किराये पर चलाई गई.
मैंने स्वयं इस फटफटिया की सवारी की हुई है. उन दिनों यह फटफटिया पुरानी दिल्ली में चांदनी चौक के फ़व्वारा नामक स्थान से चल कर कनाट प्लेस में पालिका बाजार तक आते थे. 1972-73 के आसपास इनके चलाने को प्रतिबंधित कर दिया गया था.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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