Re: सफलता के सूत्र :: देवराज के साथ
व्यक्ति जब अपने अन्दर छिपी हुई शक्तियों के स्रोत को जान लेता है तो वह भी देव तुल्य बन जाता है। विश्वास के जागृत होने ही आत्मा में छुपी हुई शक्तियाँ प्रस्फुटित हो उठती हैं। हमारे अन्दर के श्रेष्ठ विचार महत्वपूर्ण कार्य के रूप में परिणत हो जाते हैं। इसके विपरीत अपने प्रति अविश्वास से तो शक्ति के स्रोत सूख जाते हैं और लोग भण्डार के होते हुए भी दीन तथा दरिद्र ही बने रहते हैं।
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मेरी चित्रशाला : दिल दोस्ती प्यार ....या ... .
तुमने मजबूर किया हम मजबूर हो गये ,...
तुम बेवफा निकले हम मशहूर हो गये ..
एक " तुम " और एक मोहब्बत तेरी,
बस इन दो लफ़्ज़ों में " दुनिया " मेरी..
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