Re: भाभी जी घर पर है .
तो भैया आज कल दोनों पड़ोसियों में नटखट कृष्णा बन्ने की होड़ लगी हुई है. देखा जाए तो सिर्फ विभुइति और तिवारी जी में ही नहीं बल्कि हप्पू सिंह भी मैदान में है इस बार . तो इसी मुहीम में विभूति जी ने एक उपाय किया, उन्होंने सक्सेना जी की मदद से कही से ऐसी बांसुरी का जुगाड़ किया जो की तार के जरिये एक साउंड प्लेयर से जुडी थी. अब छुपा के उन्होंने सक्सेना जी को सौंद प्लेयर के साथ बैठा दिया और खुद बासुरी बजने की एक्टिंग करने लगे. जबकि धुनें तो मशीन से आ रही है, पर सामने के घर में अंगूरी भाभी को ये कहा पता, वे राधा की तरह मग्न होके बासुंरी की धुनों का आनंद ले रही है. तभी तिवारी जी आ धमकते है और आश्चर्य करते है की भला विभूति इतनी अच्छी बासुरी कैसे बजा लेते है भाई, थोडा छानबीन करने के बाद उन्हें समझ आता है की सारा सिस्टम तो चुप के बैठे सक्स्क्सेना जी के हाथ में है. वे धीरे से उनके पास पहुचते है उन्हें लोल्लिपोप थमा के हटा देते है और कमांड अपने हाथ में ले लेते है . सक्सेना जी आई लाइक इट कहके खिसक भी लेते है. अब तिवारी जी करते है विभूति जी के रंग में भंग . शोर्ट सर्किट करा देते है और विभूति जी की बंद बज जाती है. बासुरी में से अजीब आवाज़ आने लगती है इधर अंगूरी भाभी भी हैरान की अचानक ये क्या हो गया . तभी शॉक मरता है और विभूति जी के मुह से धुआ निकलने लगता है . साथ ही उनके होठ भी जल जाते है. जैसे तैसे वे मुह चुरा के भागते है.
अगले सीन में विब्हित जी जले हुए होठ लेके अपने घर पे बैठे होते है और तिवारी जी को कोसते रहते है. तभी ऊपर से अनीता भाभी आती है . वे रुक्मिणी के गेटउप में है. वे विभूति का कॉम्प्लीमेंट चाहती है पर विभूति भैया तो मुह चुरा के बैठे है, इसी बीच तिवारी जी आते है और विभूति खिचाई करने लगते है . साथ ही भाभी जी की तारीफ, बिचारे विभूति जी चुप चाप मुह छुपा के देखते रहने के अलावा क्या कर सकते है भला. मुह छुपाने की वजह भी वह झूठ झूठ बताते है की दांत में दर्द है .
उधर हप्पू सिंह की तयारी देखिये, मलखान और टिका को लेके वे मटकी फोड़ने की प्रैक्टिस कर रहे है. जैसे जैसे मलखान और टिका को निचे खड़ा करके वे चढ़ते तो है पर तभी एक मोटरसाइकिल वाला आता है और दोनों लौंडे दरोगा हप्पू सिंह जी को छोड़ के साइड हट लेते है, नतीजा हप्पू सिंह धडाम से सड़क पर. मटकी तो फूटी न, हा पैर जरूर टूट गयो, वह रे दरोगा जी आपकी किस्मत.
जैसे तैसे वे चाय वाले की दुकान पर आते है और दोनों लौंडो से मालिश करा रहे होते है . की तभी तिवारी जी आते है, उनकी हालत का कारन जानने के बाद उन्हें सलाह देते है की आप तो कृष्णा बन्ने की दौड़ से हट ही जाओ. आप अपने चरित्र के अनुसार कंस बनो .
हप्पू सिंह कहता है की अरे कहे बन जाए ऐसे ही मुफ्त बे बन जाए अरे जेमे हमर का फायदा . तिवारी जी उसे ५०० की पट्टी थमाते है. हप्पू सिंह कहता है की जे क्या बात हुई भैया तिवारी. इतना बड़ा करैक्टर बदलने को कह रहे हो सीधा कृष्णा से कंस और सिर्फ ५०० रुपैया. अरे कुछ और न्योछावर करो . खैर तिवारी ५०० और थमाते है तब जाके बात बनती है .
इधर अंगूरी भाभी मटके में माखन निकल रही होती है . की तभी उनके मटके में छिपकली गिर जाती है कही से . वे डर के भाग जाती है. तभी तिवारी जी अपनी मस्ती में झूमते हुए आते है और उन्हें माखन चोर बनने का भूत स्वर होता है लगते है उसी मटकी में से माखन निकल के खाने . इसी बीच अंगूरी भाभी लड्डू को लेके आ जाती है ताकि वो मटकी को फेक सके . दोनों देखे के हतप्रभ की तिवारी जी ये क्या कर रहे है, अंगूरी भाभी रोकने की की कोशिश करती है पर तिवारी जी को तो माखन चोर बन्ने का भुत चढ़ा है वे कहा किसी की सुनते है, पर तभी माखन में से छिपकली निकलती है और उनके धुए छुट जाते है. खैर जैसे तैसे बात संभल ली गई .
उधर विभूति जी कहा चुप बैठने वाले तिवारी से बदला लेने के लिए अच्छी क्वालिटी का तेल लाके उनके घर के सामने सड़क पे फैला देते है और चुप के आवाज़ देते है ताकि तिवारी जी आए और गिरे और कृष्णा बन्ने की रेस से बाहर हो जाए . पर अफ़सोस की बाहर निकलती है अंगूरी भाभी, जब तक विभूति जी उन्हें रोके, तब तक वे सड़क पर आके फिसलने लगती है, उन्हें रोकने के चक्कर में विभूति जी भी सड़क पे फिसलने लगते है. इन दोनों की आवाज़ सुनके अनीता भाभी आती है उनका भी वही हाल, तभी तिवारी जी भी आ जाते है, उसी में कही से मलखान टिका और हप्पू भी. सब लगते है उसी में चूहा दौड़ करने. अब आगे देखे क्या होता है, कौन किस पे गिरता है या कौन गिरता है पहले.
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