Re: अघोषित आलसी का इकबालनामा
एक पोस्ट गंगा राम की तरफ से.......
बाबा मेरी बात सुनो......, गधा बनना मंज़ूर है ........ पर खुदा किसी को छोटा भाई न बनाये.......
रे गंगा राम के बात हो गयी.
कुछ नहीं बाबा, बस एक बात गधा बनना मंज़ूर है ........ पर खुदा किसी को छोटा भाई न बनाये.......
अरे फिर भी कुछ तो बोलेगा...
अब क्या बोलूं बाबा, घर में हम पांच भाई, मैं सबसे छोटा - गंगा राम..
ठीक है, इसमें के... एक न एक ने तो छोटा होना ही था....... तू हो गया.
नहीं बाबा, तेरा कोई बड़ा भाई है...
नहीं - गंगा राम..... न तो मेरा कोई बड़ा भाई है न ही कोई छोटा...पण तेरे जीसे छोटे-बड़े घने भाई से.....
बाबा, मैं असल की बात करूँ और तू बातां की खान लग रहा....
नहीं गंगा राम, मेरो कोई बड़ो भाई कोणी......
जी बात....
बाबा.... इब मैं अपना दर्द सुनाऊं .......
सुना भाई छोरे....
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