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Old 22-02-2013, 04:39 PM   #7
rajnish manga
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Default Re: मेरी कहानियां/ आख़िरी दिन तक

सारी रात उसे नींद न आयी. भोर होने से पहले वह उठा और किशन के पास आ कर लेट गया. उसकी गर्दन क नीचे अपनी बांह लगा कर उसने उसे अपने निकट खींच लिया. दूसरे हाथ से उसके बालों बालों में उंगलियाँ फिराने लगा.जाने कब उसकी भी आँख लग गई. सुबह चाय के साथ डबल रोटी मंगवा ली.अन्य लोगों और किशन को भी दी. स्वयं रामधन कुच्छ न खा सका. वह अपने को बेजान सा अनुभव कर रहा था जैसे किसी ने उसके शरीर का सारा अक्त निचोड़ लिया हो. रिश्तेदार उन्हें उसी अवस्था में छोड़ कर चले गए. उसके सामने अब एक नयी समस्या आ खड़ी हुयी.

उसने सोचा कि घर में बैठे बैठे तो उसके मस्तिष्क की सारी नसें ही फट जायेंगी. वह पागल हो जाएगा. और अगर वह चाहे बेदिली से ही सही, अपने काम पर चला जाता है तो किशन कहाँ रहेगा. किशन को अकेले छोड़ कर जाना उसे अच्छा नहीं लगा अतः किशन को उसने साथ ही ले लिया.

रामधन दुखद स्मृतियों को अपने मन से दूर रखना चाहता था. किन्तु उसका यह प्रयास सफल न हो सका क्योंकि यादों का चलचित्र मन में ज्यों का त्यों चलता रहा. आदत से साढ़े हुए हाथ ईंटों की चिनाई कर रहे थे. इस बीच दो-तीन बार हाथ और दिमाग़ का संयोजन टूट गया. एक बार तो ईंट उसके हाथ से छूट कर नीचे खड़े हुए एक और कामगार के कंधे को छूती हुयी जमीन पर आ गिरी और दूसरी बार वह स्वयं ऊपर से गिरते गिरते बचा.
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