17-07-2017, 07:34 AM
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#1164
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
Quote:
Originally Posted by rajnish manga
आपका स्वागत है, परमिंदर जी. आइये इस क्रम को आगे बढाते हैं:
कबीरा खड़ा बजार में, लिये लुकाठी हाथ
जो सर दे वे आपना, चले हमारे साथ
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थकन को ओढ़ कर बिस्तर में जा के लेट गये
हम अपनी कब्र-ए-मुक़र्रर में जा के लेट गये
- मुनव्वर राणा
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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