Re: उपन्यास : टुकड़ा - टुकड़ा सच
स्पष्टीकरण
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इस कहानी के समस्त पात्र एवं घटनायें काल्पनिक हैं और वास्तविक जीवन से इनका कोई भी सम्बन्ध नहीं है .
अचेतन में संचित स्मृतियों के कारण यदि कोई संवाद अथवा प्रकरण किसी से मेल खाता हो तो इसे मात्र एक संयोग ही समझा जाये .
नोट - सर्वाधिकार लेखकाधीन .
Last edited by Dr. Rakesh Srivastava; 06-02-2012 at 09:11 AM.
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