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Old 22-11-2010, 09:34 AM   #1
amit_tiwari
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Default क्या आपको भारत पर गर्व है?

मुझे व्यक्तिगत रूप से आज के भारत का नागरिक होने पर कोई गर्व नहीं है और ना ही इसका कोई कारण समझ आता है |
निशांत भाई की कही बात को ही और आगे बढ़ाते हुए मैं यही कहूँगा कि आज जब बाकि सारे देश अपनी सफलता का ओर्केस्ट्रा बजा रहे हैं तब हम मात्र भूतकाल की पिपहरी फूंक रहे हैं |

निकम्मा नेतृत्व कफ़न चुरा के पैसे कम रहा है, प्रशासन से जुड़े लोग फ़्लैट में घोटाला कर रहे हैं, धार्मिक वर्ग राजनीति करके इच्छापूर्ति कर रहे हैं, युवा अपनी संकृति का klpd करके क्या क्या कर रहे हैं ये किसी को बताने की जरुरत नहीं है और हर बात पर निरूपा राय की तरह रोने वाला आम नागरिक वर्ग हर छोटे से छोटे मौके का फायदा उठा कर जुगाड़ बना रहा है |
जो लोग चौराहे में सिपाही के पांच रुपये लेने पर भागीरथ बन जाते हैं वही बीएड में अपने बेटे को एडमिशन दिलाने के एक-डेढ़ लाख आराम से देने को तैयार हैं | शायद देश के बाकी हिस्सों के लोग परिचित ना हों किन्तु इस समय यूपी में बीएड भर्ती के नाम पर जो घोटाला गबन खुले आम आम जनता द्वारा किया जा रहा है वो बोफोर्स या तेलगी मामले को बौना बना दे | ५-५ साल के तीन बच्चों वाले स्कुल के नाम पर ५ बीएड मास्टर २१ हजार की तनख्वाह उड़ा रहे हैं | कोई इस घोटाले की कीमत आंके तो सही, शायद गिनती ख़त्म हो जाये |

देश में व्यापर बढ़ रहा है,,,,, किसका? मोबाइल का? टीवी का? सबसे सस्ती कही जाने वाली दाल रोटी भी आज लोग सहन नहीं कर सकते और सरकार प्रचार करा रही है की पीली मटर दाल खाओ | ऐसे देश का नागरिक होने पर क्या गर्व करूँ |

देश के लोग बाहर जा कर नाम कमा रहे हैं !!! हाँ ये सच है, जो कुछ काबिल लोग यहाँ कुछ भी करने में असमर्थ थे वो बाहर अवसर मिलते ही प्रतिस्पर्धा को जीत लेते हैं! ये उनकी म्हणत और काबिलियत है किन्तु इस देश में रहते हुए किसी घाट नहीं लगते | सबसे अधिक क्षमता होते हुए भी भारतीय सबसे कम वेतन पर बाहर नौकरी पते हैं ( यूरोपीय समकक्षों की तुलना में ) हर साल नस्ली भेदभाव झेलते हैं, मार खाते हैं | इसलिए नहीं की हम उतने गोरे नहीं हैं, इसलिए क्यूंकि हम गरीब देश से आते हैं |
घाट से याद आया पतितपावनी को साफ़ करने के नाम पर कितने करोड़ फूंके ये किसी को याद आया? क्या गंगा साफ़ हुई? क्या सिर्फ नेताओं ने इसमें पैसा खाया? गंगा को मैया कहते हैं और उसी मैया के नाम का पैसा खा गए ऐसी है हमारी तात्कालिक सभ्यता !!!

मुझे शर्म आती है ऐसे तात्कालिक भारत पर !!!
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