Re: एक लम्बी प्रेम कहानी
‘‘कॉलेज है कि दलान बना दिया, पढ़ना लिखना है नहीं आ जाते हो कॉलेज, तुम्हारे जैसे ही लोग कॉलेज मंे आकर उधम मचाते है। निकलो क्लास से’’
गुप्ता जी का इतना कहना की गुडडू भड़क गया। क्लास से निकलते निकलते दरबाजे से उसने जो किया उसे देख मेरे साथ सभी स्तब्ध रह गये। दरबाजे पर पहंूचते ही गुडडू ने गुप्ता जी को गाली दे दी।
‘‘साला बाबा बनो हीं, निकल बाहर आज तोरा मथबा नै फाड़ देहिऔ त कहियें’’
गुडडू को चूंकी इस कॉलेज में नहीं पढ़ना था सो उसने ऐसा किया। उसकी छानबीन हुई,
‘‘कहां का लड़का था, तुम्हारे बगल में बैठा था बताओं’’
डर से मैं बता दिया और उसका गुस्सा मुझ पर उतारा गया, पिटाई लगी। कॉलेज का दूसरा दिन भी यादगार ही रहा जब जन्तुविज्ञान का क्लास लेने के लिए पहली बार प्रो. रिजमी सर आये तो उनका पहला लेक्चर मेरे जीवन पर गहरी छाप छोड़ गया। उन्होंने छात्रों को समझाते हुए कहा
‘‘कोई विद्यार्थी किसी से कमजोर है तो वह खुद को कमजोर नहीं समझे। नियमित अध्यनन और तेज विद्यार्थी यदि बारह घंटे पढ़ता है तो वह चौदह घंटा पढ़े मैं दाबा करता हूं कि वह उससे आगे रहेगा’’
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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