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Old 17-07-2014, 03:20 PM   #55
VARSHNEY.009
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Default Re: यात्रा-संस्मरण

हम लोग ऊपर की मंजिल से उतर कर नीचे आये तो देखा कि नीचे गुंपा के बरामदे में कुछ लामा लोग गोलाकार में घूम रहे थेथोडी देर में समझ में आ गया कि ये सब लामा धीरे-धीरे चक्कर लगाते हुए नृत्य कर रहे थेइनके नृत्य विलंबित लय में थे और ऐसा अतींद्रय आनंद आ रहा था कि जैसे अच्छे शास्त्रीय गायन में आलाप सुनने में आता हैकुछ देर के लिये तो हम लोग स्तब्ध देखते रहेबरामदे की तीन दीवारों पर बुध्द और पद्मसंभव आदि के सुंदर और आकर्षक चित्र बने हुए थेसारे गुंपा के भीतर चाहे कपडे हों या दीवार आदि, वे मुख्यतः एक ही परिवार के रंग में नजर आ रहे थेये सब रंग सूर्य तथा अग्नि से निकले हुए तेजस्वी लाल और पीले रंग के मिश्रण से बने थेकेसरिया रंग ही लामाओं का सबसे प्रिय रंग है और इसके भिन्न-भिन्न रूप, किसी में ललामी ज्यादा है तो किसी मे स्वर्णिम रंग, अपनी छटा बिखेर रहे थे इन रंगों में सूर्य का सा त्याग और अग्नि का सा तेज झलकता है और हमारे मनोभावों को यह उसी रूप में प्रभावित कर सकता है

सिक्किम के पश्चिम में पैमयांची नाम का एक छोटा सा गाँव, जो पश्चिमी जिले की राजधानी गेजिंग से लगभग 15 किलोमीटर दूरी पर है, और इसके बाद कहीं भी आगे जाना हो तो आधुनिक यात्रिक वाहनों को छोडक़र पैदल ही जाना पडता है - गेजिंग का अर्थ होता है राजधानी और गंतोक के पहले गेजिंग सिक्किम की राजधानी थी - पैमयांची लगभग 2600 मीटर की ऊंचाई पर स्थित बहुत ही सुंदर गुंपा गाँव हैबौध्द धर्म की निंगमा शाखा का यह सबसे बडा गुम्पा हैउसे लाल टोपी वाले लामाओं का गुंपा भी कहते हैं, क्योंकि इसके सब लामा लाल रंग की टोपी पहनते हैंपेमयांची के इतिहास से सिक्किम के आधुनिक इतिहास का प्रारम्भ होता हैसन् 1642 में युकसैम नामक गाँव (पेमयांची से लगभग 25 किमी उत्तर में) में तीन प्रसिध्द लामा मिलेआठवीं शती में तिब्बत मे बौध्दधर्म की पुनर्स्थापना करने वाले महागुरु पद्मसंभव की भविष्यवाणी के अनुसार, तीनों लामाओं ने सिक्किम में महागुरु पद्मसंभव द्वारा छिपाए गए सुरक्षित धर्मग्रंथों को खोजकर बौध्द धर्म का पुनर्स्थापन कियायुकसैम का अर्थ होता है - तीन लामापैमयांची गुंपा का स्थल जिसने भी चुना, वह अवश्य ही न केवल प्रकृति प्रेमी होगा, वरन प्रकृति को ईश्वर की प्रिय संरचना मानता होगा क्योंकि यहां जो प्राकृतिक दृश्य दिखाई देते हैं, वे न केवल बहुत ही मनोहारी हैं वरन हमारे मन को नोन तेल लकडी क़ी अपेक्षा बहुत ऊंचा उठा देते हैंइस गुंपा के अम्दर संगथोपाल्बो नाम की उत्कृष्ट कलाकृति इसकी पहली मंजिल में स्थापित है, जो जीव की सात अवस्थाओं का वर्णन कलात्मक ढंग से करती हैवह विशाल कलाकृति एक ही लामा द्वारा लकडी पर की गई जटिल संरचना वाली कलाकृति है, जिसको बनाने में उस लामा को 5 वर्ष लगे थेइसमें साधारण मानव और बोधिसत्व की स्थिति से लेकर बुध्द और शंकर तक की स्थिति का वर्णन है कक्ष के भीतर दीवारों पर बहुत ही सुंदर चित्र हैं जो भारतीय वाम तंत्र शाखा से बहुत अधिक प्रभावित जान पडते हैंबुध्द धर्म की यह शाखा जो सिक्किम में निंगमा नाम से बहुत ही प्रचलित है, बौध्द धर्म और भारतीय तंत्र योग का बहुत ही विलक्षण मिश्रण है

जोंगु क्षेत्र में तीस्ताा के तट पर घूमते समय एक पहचाना सा पौधा दिखारामबाण या गमारपाठ (aloe) जैसे सर्पाकार मोटे दल वाले हरे पत्ते - छत्ते के रूप में या गुलाब के फूल की पंखुडियों जैसे आकार में (किन्तु अन्य सब में नितान्त भिन्न) - शुष्क जलवायु के लिये उपयुक्त पौधे दिख रहे थेउनके केन्द्र में से एक ऊंचा ऊर्ध्वाधर डम्ठल जिसपर एक धवल पुष्प! आकर्षक! जो पता लगा डोंडा या बडी ऌलायची के पौधे थेशायद आपको यह जानकर आश्चर्य हो कि संसार का सबसे अधिक बडी ऌलायची का उत्पादक प्रदेश सिक्किम है। यहाँलगभग 2 हजार टन इलायची प्रति-वर्ष पैदा की जाती है जोकि विश्व की उपज का लगभग 50 प्रतिशत हैग्वाटेमाला, भूटान, अरुणाचल और नागालैंड अन्य स्थान हैं जहां यह इलायची पैदा हाती हैयह इलायची सत्कार और मिठाइयों के काम में आने वाली छोटी इलायची नहीं हैं, वरन, मसाले के काम में आने वाली बडी ऌलायची है, जिसे डोंडा भी कहते हैं

बडी ऌलायची के अलावा अदरक और हल्दी भी सिक्किम में खूब पैदा की जाती है
मुझे लगा कि इन तीनों में संभवतः कोई संबंध होपता लगाने पर मालूम हुआ कि ये तीनों उपज 'जिजीबरेशी' परिवार की सदस्य हैंसिक्किम में नारंगियों के सुंदर और समृध्द बगीचे भी बहुत हैंसिक्किम में घूमते समय, लोगों से मिलते समय वहां की समृध्दि देखकर सुखद आश्चर्य होता हैउत्तरी पहाडी प्रदोश गढवाल, कुमायूं, तथा 1962 के पूर्व का हिमांचल प्रदेश गरीबी में ग्रस्त दिखते हैं क्या ये तीन नकद - उपज सिक्किम की समृध्दि के महत्त्वपूर्ण संसाधन हैं!

गंतोक स्थित तिब्बत शास्त्र संस्थान को भी देखने गए
यह, संभवतया विश्व में बौध्द धर्म के ग्रन्थों तथा अन्य उपादानों का सर्वाधिक मूल्यवान संग्रहालय है

सिक्किम के लोग बहुत ही मितभाषी है, और जब भी बातचीत शुरू की मैंने उन्हें विनम्र स्नेही और खुला पाया
सिक्किम में बहुत फोटो लिये और सिक्किम लोगों ने बडे ख़ुशी-खुशी फोटो उतरवाएसिक्किम में लडक़ियां और महिलाएं बहुत ही स्मार्ट होती हैं, खुलकर बातें करती हैंकई लडक़ियों ने पूछने पर बडे ग़र्व से बतलाया कि वे प्रेम विवाह में विश्वास करती हैं और इसे काफी मात्रा में सामाजिक मान्यता प्राप्त हैसिक्किम में मुख्यतया दो धर्मावलंबी हैं : हिंदू 65 प्रतिशत तथा बौध्द 27 प्रतिशत। चूंकि हिंदू और बौध्द धर्म दोनों ही उदार प्रवृत्ति के हैं इसलिए इनमें बडे सौहार्दपूर्ण संबंध हैं शांत प्रकृति, लोगों का सौम्य स्वभाव, सहजता, आपसी सद्भाव, फूलों भरी सौंदर्य_सुषमा सिक्किम के जन-जीवन के प्रतीक हैं

सिक्किम के प्रथम धर्मराज
फुटसांग न म्ग्याल ने आधुनिक सिक्किम राज्य की नींव डालते समय (1642) 'लो-मेन-त्सुमत्सुम' का नारा बुलन्द किया था जिसका अर्थ है लेप्चा, भूटिया और नेपाली एक हैपश्चिम बंगाल में (दार्जलिंग क्षेत्र विशेषकर) गुरखाओं ने आतंक फैलाया था और जहां हाँ विनाश की लीला खेल रहे थे, वहीं सिक्किम में (यहाँतक कि सीमा पर स्थित रंगपो में भी) पूर्ण शांति विराजमान थीयही शांतिप्रिय लोग आधुनिक सिक्किम के पाँचवे खजाने हैं
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