आदतन
छेड़ दी वो ही बात आदतन,
रोए फिर सारी रात आदतन,
चैन न जाने कहां सो गया...
जाग उठे जज़्बात आदतन।
रुत बदली, मौसम भी बदले,
बदल गए हालात आदतन...
तुम बदले, दुनिया बदली,
मन क्या चाहे सौगात आदतन?
हुआ वही, होता जो अक्सर,
आंखो से गीरी बरसात आदतन,
उन आंसु में पिघल चले,
जो पुछे थे सवालात आदतन!
आगे क्या करते बात आदतन?
खा ली हमने मात आदतन!
खत्म हुई हर बार की तरहा...
आखरी वो मुलाकात आदतन!
(दीप १२.३.१५)