Re: क्विज़ टाइम / किशोर कुमार
इससे पहले कि मैं आगे बढूँ, मैं अतीत की चंद बातों पर चर्चा करना चाहता हूँ. और मैं अपनी पृष्ठभूमि पर नज़र डालना चाहता हूँ जिसमे मैं पला-बढ़ा हूँ.
यह एक नौजवान की कहानी है जो एक ऐसा संजीदा व्यक्ति था जिसे एक जोकर बना दिया गया. यह पुरानी बात है जिसे सही परिप्रेक्ष्य में समझने का वक़्त आ गया है क्योंकि अब वह नौजवान उस पड़ाव पर आ पहुंचा है जहां उसकी मसखरी खत्म होनी चाहिये.
यह किशोर कुमार की कहानी है, मेरी कहानी. कई बरस पहले जब मैंने फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा तो मैं एक दुबला पतला सा एक गंभीर तबीयत नौजवान था. मुझमे अच्छा काम करने का जूनून था. मैं गाता था. मेरे आदर्श थे – के.एल. सहगल और खेमचंद प्रकाश. ये ऐसे नाम हैं जिनकी गूँज तब तक रहेगी जब तक फिल्म इंडस्ट्री कायम है. मैं इन दोनों हस्तियों को मिसाल के तौर पर देखता था.
एक प्लेबैक सिंगर के तौर पर मेरी शुरूआती कोशिशें खासी कामयाब रही थी. खेमचंद प्रकाश के साथ मैंने जो गाने गाये वो गंभीर और सहज थे. यानी इनमें कोई जटिलता नहीं थी. खेमचंद प्रकार की नज़र में मैं एक ऐसा नौजवान था जो आगे चल कर बहुत अच्छा सिंगर बनने वाला था. उनकी सोच गलत भी नहीं थी.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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