Re: क्विज़ टाइम / किशोर कुमार
लोगों ने क्या-क्या नहीं कहा किशोर दा को। मसखरा, जोकर, बंदर, पागल। लेकिन दर्द किसी ने नहीं समझा। हाल ही में किशोर दा के दो अलग-अलग इंटरव्यू मुझे पढ़ने को मिले। एक साल 1960 में छपा तो दूसरा उनकी मौत से दो साल पहले 1985 में। यानि दोनों इंटरव्यू में करीब 25 साल का फासला था लेकिन दर्द एक ही था, “मैं मसखरा नहीं बनना चाहता था। मैं अपनी जमीन के साथ जीना चाहता था”। आभास कुमार गांगुली तो सिर्फ गाना चाहता था, संगीत की दुनिया में खो जाना चाहता था लेकिन उसे खुद भी पता नहीं चला कि वो कब आभास से एक ‘तमाशा’ बन गया जिसे लोगों ने नाम दिया किशोर कुमार।
किशोर तो अपने भाई अशोक कुमार से मिलने बंबई आए थे। सोचा था कि वो उन्हें के.एल सहगल से मिलवा सकते हैं क्योंकि किशोर उन्हें अपना आदर्श मानते थे। लेकिन बंबई आकर जैसे वो फंस गए। वो सिर्फ गाना चाहते थे लेकिन परिस्थितियों ने उन्हें ऐसा उलझाया कि किशोर एक्टिंग करने लगे लेकिन सुकून उन्हें गायकी में ही मिलता था। फिर भी वो फिल्मी दुनिया में रम गए। गायक भी बने अभिनेता भी।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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