Re: मेरी पेंटिंग
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Originally Posted by rajat vynar
ये भी कोई प्रोत्साहन है। आपका मो०नं० पास में होता तो कॉल करके प्रोत्साहन के दो शब्द कहता। पता पास होता मिठाई के डिब्बे के साथ सीधा पधारकर चार बात कहता।
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आपके शब्दों की गहरायी ने दिल को छू लिया और इन शब्दों की मिठास को मैंने चख भी लिया, रजत जी. आपका पुनः धन्यवाद.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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