04-12-2012, 02:43 PM
|
#20
|
Banned
Join Date: Nov 2010
Location: राँची, झारखण्ड
Posts: 3,682
Rep Power: 0
|
Re: सफलता की सीढ़ी।
समस्या का हल ढूंढ़ें हथियार न डालें
जिंदगी में कई बार ऐसा महसूस होता है कि सारे रास्ते बंद हो गये हैं. लोग खुद को हालात के भरोसे छोड़ देते हैं. तनाव का बोझ प्रयास करने से रोकता है, नतीजा चीजें जो हमारे पक्ष में आ सकती थीं, वह और भी खराब हो जाती हैं.
ध्यान रखें कि लगातार विचार करनेवालों के लिए रास्ता हमेशा खुला रहता है, विकल्प हमेशा उनके सामने रहता है. कोई समस्या इनसान से बड़ा नही होता, बशर्ते की हम उसके आगे हथियार न डालें.
एक गरीब किसान था. उसने साहूकार से कर्ज लिया हुआ था. किसान की फ़सल खराब हो गयी. वायदे के अनुसार साहूकार का उधार चुकाने का समय हो गया था. किसान असमंजस में था की क्या किया जाये.
उसकी एक बेटी थी. वह काफ़ी समझदार थी. उसकी समझदारी से पूरा गांव प्रभावित था. साहूकार ने किसान के सामने शर्त रखी कि या तो वह सारा उधार चुका दे या फ़िर अपनी बेटी की शादी उसके साथ कर दे. लोगों ने इसे अन्यायपूर्ण शर्त बताया. यह देख कर साहूकार ने एक नये तरीके से अपनी बात किसान के सामने रखी. इसके अनुसार वह एक थैले में दो पत्थर रखेगा - एक काला और दूसरा सफ़ेद. अगर काला पत्थर निकला तो साहूकार की शादी लड़की के साथ करानी होगी और किसान का उधार भी माफ़ हो जायेगा. सफ़ेद पत्थर निकला तो लड़की को साहूकार से शादी नहीं करनी होगी और न ही उसके पिता को उधार चुकाना होगा. यदि लड़की ने शर्त मानने से मना किया तो किसान को उधार चुकाना होगा और जेल भी जाना होगा.
किसान और उसकी लड़की ने शर्त मान ली. सब लोग जमा हुए. साहूकार ने थैले में पत्थर डालते वक्त चालाकी दिखायी और दोनों थैले में काले रंग के पत्थर डाल दिये. लड़की ने साहूकार को यह करते हुए देख लिया. अब उसके सामने तीन रास्ते थे. पहला, वह चुपचाप पत्थर निकाल कर उससे विवाह कर ले और अपनी जिंदगी अपने पिता के लिये बलिदान कर दे.
दूसरा, वह पत्थर निकालने से मना कर दे और उसके पिता उधार चुकाए और जेल भी जाये. तीसरा, वह लोगों को बता दे कि साहूकार बेईमानी कर रहा है. ऐसे में भी उधार तो चुकाना ही पड़ेगा.
लड़की ने थोड़ी देर सोचा और पत्थर निकालने का फ़ैसला किया. उसने थैले में हाथ डाल कर पत्थर निकाला और अपनी मुट्ठी में बंद उस पत्थर को उछाल दिया. पत्थर दूर कहीं जाकर दूसरे पत्थरों में मिल गया. लोगों ने पत्थर पहचानने को कहा, तो उसने पत्थर पहचानपाने में असमर्थता जताने के बाद माफ़ी मांगते हुए कहा कि दूसरे थैले के अंदर बचे पत्थर को देख कर अभी भी फ़ैसला लिया जा सकता है. थैले के काले पत्थर को देख कर फ़ैसला किसान और लड़की के हक में सुनाया गया. किसान उस संकट से उबर गया.
- बात पते की
* कभी भी यह न सोचें कि सारे रास्ते बंद हो गये हैं.
* लगातार विचार करनेवालों के लिए रास्ता हमेशा खुला रहता है.
* कोई समस्या इंसान से बड़ा नहीं होता, बशर्ते कि उसके आगे हम हथियार न डालें.
|
|
|