और आज की हमारी शख्सियत हैं (16 फ़रवरी)
डॉ मेघनाद साहा /Dr Meghnad Saha
मेघनाद साहा (Meghnad Saha) भारत के एक महान वैज्ञानिक थे. उनका जन्म 6 अक्तूबर 1893 को ढाका के एक गाँव में हुआ था. खगौल भौतिकी के क्षेत्र में उनका अभूतपूर्व योगदान रहा. प्रेसीडेंसी कॉलेज, कलकत्ता से वे 1913 में गणित विषय में स्नातक हुये और 1915 में एम एस सी किया. 1917 में यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ़ साइंस में अध्यापन कार्य शुरू कर दिया. उनका विषय था क्वांटम फिजिक्स. 1919 में उन्होंने अपना ‘थर्मल आयोनाइज़ेशन फ़ॉर्मूला’ ईजाद किया जिसे उन्होंने एक शोध पत्र के रूप में अमेरिकन ‘आस्ट्रो फिजिकल जर्नल’ में प्रस्तुत किया जो खगौल भौतिकी में क्रांतिकारी खोज साबित हुआ.
1927 में साहा लंदन की रॉयल सोसाइटी के फ़ेलो नियुक्त हुए. उन्होंने 1930 में इलाहाबाद में उत्तर प्रदेश एकेडमी ऑफ़ साइंस (जो आज राष्ट्रीय विज्ञानं एकेडमी है) की स्थापना की. 1935 में उन्होंने राजधानी दिल्ली में राष्ट्रीय विज्ञान संस्थान (जो आज भारतीय राष्ट्रीय विज्ञानं एकेडमी है) की स्थापना की. 1947 में उन्होंने इंस्टिट्यूट ऑफ़ न्यूक्लीयर फिजिक्स की स्थापना की जिसमे उन्होंने नाभिकीय भौतिकी (न्यूक्लीयर फिजिक्स) के अध्ययन की शुरुआत की.
वे फ्रेंच, जर्मन, बंगला, संस्कृत, हिंदी और अंग्रेजी भाषा के अच्छे जानकार थे.
उन्होंने कई पुस्तकों की रचना की. वह देश की समस्याओं के वैज्ञानिक हल के पक्षधर थे. उनके सार्थक प्रयासों से भाखड़ा नंगल, हीराकुंड तथा दामोदर घाटी परियोजनाएं साकार हुयीं. सन 1952 में एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीत कर सांसद बने. 16 फरवरी 1956 को संसद भवन के पास ही दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया. देश को अपने इस महान सपूत पर गर्व है. उनकी पावन स्मृति को हमारा नमन.