Re: !! गीत सुधियोँ के !!
कोइ और तरह की बात करो
दिल जिस से सबका संभाल जाए
किसी और ख्याल में ढल जाए
बाई मुसरफ दिन के आखिर पर
ये ढलती शाम संभल जाए
इस सख्त मुकाम ज़माने का
ये सख्त मुकाम बदल जाए
कोइ और तरह की बात करो —-!
किसी घात पे किश्ती आन लगे
कोइ नई नई पहचान लगे
कोइ नया नया अनजान लगे
बाई मुसरफ दिन के आखिर पर
ये ढलती शाम संभल जाए
कोइ और तरह की बात करो ”——-!
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