शूटिंग स्*थल पर दुर्घटना आम
मुंबई में करीब चार साल तक टेलीविजन की दुनिया की खाक छानने के बाद इन दिनों दिल्*ली में एक रिसर्च एजेंसी के साथ काम कर रहे राकेश जोशी (बदला हुआ नाम) का कहना है कि टेलीविजन प्रोडक्*शन की दुनिया की सबसे बड़ी समस्*या वहां पर किसी अनहोनी से निपटने के लिए किसी भी तरह के इंतजाम का नहीं होना है। उनका कहना है कि आमतौर पर सभी प्रमुख टेलीविजन चैनल अपने कार्यक्रम किसी न किसी प्रोडक्*शन हाउस से बनवाते हैं। इन प्रोडक्*शन हाउसों का एक मात्र मकसद कम से कम पैसे में प्रोडक्*शन कर चैनल द्वारा दिए गए पैसे में से अधिक से अधिक की बचत करना होता है। पैसे बचाने के लिए वे अक्*सर शहर से बाहर दूर-दराज के इलाके में सेट्स लगवाते हैं, जहां पर आग लगने की स्थिति में तत्*काल न तो फायर ब्रिगेड की गाडि़यां पहुंच सकती हैं, न ही किसी दुर्घटना की स्थिति में घायलों को जल्*दी अस्*पताल पहुंचाया जा सकता है। उन्*होंने बताया कि शूटिंग के दौरान अक्*सर छोटी-बड़ी दुर्घटना होती है। इस बारे में सरवानी ने अपनी टीम के साथ शूटिंग के दौरान अहमदाबाद में घटी एक घटना का जिक्र किया। उन्*होंने बताया कि शूटिंग के बाद आर्ट डिपार्टमेंट के मजदूर पुल को साफ कर रहे थे। इसी दौरान शॉर्ट सर्किट के कारण पुल में बिजली आ जाने के कारण एक मजदूर की मौके पर मौत हो गई। उन्*होंने बताया कि दो साल बीत जाने के बावजूद उसके परिवार को आज तक पूरा मुआवजा नहीं मिला है। कुछ ही दिन बाद उसी कंपनी के एक दूसरे सेट पर एक और सीनियर इलेक्*ट्रीशियन की मौत हो गई।