मन्त्र फूंका है किसी ने
ग़ज़ल: मन्त्र फूंका है किसी ने
रजनीश मंगा
मन्त्र फूंका है किसी ने मुझ पे इतने जोर से
मैं जकड़ता जा रहा हूँ जैसे कि चारों और से
दुश्मनी के बाद ग़र हो गुफ़्तगू अच्छा ही है
बात की होगी मगर शुरुआत किसकी ओर से
बेख़बर कितने सही पर बात यह पचती नहीं
डर गया है एक बलशाली किसी कमज़ोर से
शोलाबारी वो करें और हम भी हों अगियार से
तब पेशकदमी कामयाबी पायेगी किस तौर से
मुश्किलों के बीच में न और मुश्किल हो खड़ी
अज़्म ले लो के निकलना चाहिये इस दौर से
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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