Re: Jabalpur & Indore (M.P.)
इन्दौर भ्रमण
आलेख: सुभाष सिंघल
अभी तक आप पढ़ चुके हैं कि बैंक के कार्य से इन्दौर जाने का कार्यक्रम बना तो उस दौरान खाली समय में घुमक्कड़ी करने का संकल्प लेकर मैं किस प्रकार सहारनपुर स्टेशन पर अमृतसर से इन्दौर जाने वाली एक्सप्रेस ट्रेन तक पहुंचा।मोहन जोदड़ो की खुदाई में निकले अपने टू-टीयर वातानुकूलित डब्बे में अपनी सहयात्रियों को घुमक्कड़ डॉट कॉम के लेखकवृंद से परिचय कराते – कराते इन्दौर जा पहुंचा। इंदौर स्टेशन से गंगवाल बस अड्डे और फिर तीन घंटे तक टैक्सी को कर्फ्यूग्रस्त धार में घुसाने का असफल प्रयत्न करके अन्ततः वापिस इन्दौर आया, होटल में कमरा लिया! नहा-धोकरराजा-बेटाबन कर बैंक जा पहुंचा।अब आगे !
ये आर.एन.टी. – आर.एन.टी. क्या है?
जब से मुझे पता चला था कि प्रेज़ीडेंट होटल, जिसमें मुझे अपने प्रवास के दौरान रुकना है, आर एन टी मार्ग पर है, मन में उत्सुकता हो रही थी कि भला आरएन टीसे इन्दौर के किस राजा का नाम हो सकता है? मल्हार राव, तुकोजी राव, अहिल्याबाई जैसे नाम ही बार-बार सुनने में आ रहे थे मगर इनमें से कोई भी नाम फिट नहीं बैठ रहा था।कई लोगों से पूछा पर सब ने यही कहा कि हर कोई आर एनटी ही कहता है।अन्ततः एक समझदार सा इंसान खोज कर उससे पूछा कि “भाईसाहब, ये आर.एन.टी. क्या है” तो उत्तर सुन कर मैं सन्न रह गया क्योंकि उत्तर मिला, रवीन्द्र नाथ टैगोर ! ये तो बगल में छोरा, नगर में ढिंढोरा वाला मामला हो गया था।खैर।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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