Re: Jabalpur & Indore (M.P.)
आर.एन.टी. मार्ग से जावरा कंपाउंड इलाके की दूरी आधा किमी भी नहीं है अतः पैदल चलना बहुत आनन्ददायक अनुभव हो रहा था।फरवरी का मौसम वैसे भी कस्टम-मेड लग रहा था। हमारी बैंक शाखा सियागंज से जावरा कंपाउंड में अभी हाल ही में स्थानान्तरित हुई थी और मेरी देखी हुई नहीं थी।पूरी बारीकी से शाखा का निरीक्षण परीक्षण किया गया।सारे स्टाफ से भी परिचय हुआ।दोपहर को जब भूख लगने लगी तो बैंक से एक अधिकारी मुझे एक हलवाई की दुकान पर ले गये और चाट खिलाई!मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ कि इंदौर वासी खाना खाने के समय भी खाना नहीं खाते, बल्कि चाट खाते हैं।शाम को सारे स्टाफ को होटल में आने का आदेश देकर तक मैं चार बजे वापिस होटल में आ गया। बैंक में बढ़ई काम कर रहे थे, लगातार ठक-ठक से मेरा जी घबराने लगा था।शाम को छः बजे से साढ़े सात बजे तक स्टाफ की मीटिंग ली गई और फिर उनको विदा करने के बाद सोचा कि अब क्या किया जाये।कहां जायें?
सैंट्रल मॉल
गूगलदेव से प्राप्त जानकारी के अनुसार सैंट्रल मॉल आर.एन.टी. मार्ग पर ही था।खाना मॉल में ही खा लूंगा, यह सोच कर मैं होटल से बाहर सड़क पर निकल आया। हल्की – हल्की बूंदाबांदी हो रही थी। तभी मुकेश भालसे का फोन आ गया और उन्होंने बताया कि उनका बाहर जाने का कार्यक्रम आगे सरक गया है और अब वह रविवार को मेरा साथ दे सकते हैं।इससे पहले दो बार पहले भी मुकेश से मेरी बातचीत सहारनपुर में रहते हुए फोन से हुई थी।व्यक्तिगत परिचय कुछ नहीं था पर यह घुमक्कड़ डॉट कॉम का प्रताप ही कहना चाहिये कि हम दोनों ही एक दूसरे से मिलने के लिये व्याकुल थे। मैं सड़क पर चलते हुए फोन पर बात करते-करते एक विशालकाय मॉल तक आगया जो कि सैंट्रल मॉल ही सिद्ध हुई!कमाल है भई! इसका मतलब गूगलदेव की बात सही थी।मॉल के प्रवेश द्वार पर खड़े – खड़े हीमैने मुकेश को बताया कि कल शनिवार को 2 बजे तक का बैंक होगा, उसके बाद मैं पूरी तरह से उनके निर्देशानुसार ही चलूंगा।यही तय पाया गया कि मैं अगले दिन इन्दौर से अधिकतम तीन बजे धार वाली बस पकड़ कर घाटाबिलोद के लिये चल पड़ूंगा।
हमारी धार शाखा का एक स्टाफ अधिकारी शनिवार को इंदौर शाखा में उपस्थित था और उसे तीन बजे इंदौर से धार स्थित अपने घर के लिये निकलना था। वह और मैं साथ-साथ इंदौर से घाटाबिलोद तक जायेंगे, यह कार्यक्रम मैने अगले दिन सुबह बैंक में पहुंचते ही निश्चित कर लिया था। पर खैर, फिलहाल तो सैंट्रल मॉल की बात करें।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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