Re: पारख साहब के दिलचस्प किस्से
अगले दिन भी उसे दरबार में जब लाया जा रहा था तो उसे रास्ते में वही दासी फिर दिखाई दी. आज उसने अपने सर पर पानी से भरा एक घड़ा उठा रखा था. जैसे ही नौजवान उसके सम्मुख आया उसने घड़ा जमीन पर पटक कर फोड़ दिया जिससे पानी चारों ओर बहने लगा. नौजवान दरबार में लाया गया.
राजा ने पुनः अपने प्रश्न को दोहराया और चेतावनी दी कि यदि आज भी वह राजा के प्रश्न का नहीं देगा तो उसे सजाये मौत दी जायेगी. आज नौजवान चुप न बैठा. उसने भरे दरबार में वह सब कह सुनाया जिसे राजा और अन्य सभासद सुनना चाहते थे. वह बोला,
“महाराज, राजकुमारी ने उसके सामने जिस बूझ-बुझौवल को रख कर उसका उत्तर जानना चाहा था उससे मालूम हुआ कि राजकुमारी ‘पान’ खाना चाहती थी. ‘बत्तीस कीले’ कहने का अर्थ था कि उसे खाने के लिए कुछ चाहिए. इसके बाद ‘पांच मोड़’ कहने से राजकुमारी का मंतव्य था कि वह खाने की वस्तु हाथों की सहायता से पांच जगह से मोड़ कर तैयार की जाती है. महाराज को ज्ञात होगा कि पान को पांच जगह से मोड़ा जाता है. इस प्रकार राजकुमारी द्वारा पूछी गई बुझौवल का उत्तर था ‘पान’. इसी लिए मैंने राजकुमारी को पान भेट किया था.
महाराज, अब से पहले मैंने राजकुमारी को कभी नहीं देखा था. अतः मैं जानना चाहता था कि क्या राजकुमारी वास्तव में सुन्दर है, युवा है और व्यवहार-कुशल है कि नहीं, क्योंकि अपने होने वाले जीवन-साथी में मुझे इन गुणों की तलाश थी. इस वजह से मैं राजकुमारी से मिलना चाहता था. राजकुमारी ने मुझसे मिलना तो स्वीकार किया लेकिन हमारे बीच काफी दूरी रखी गई थी. जब मैं राजकुमारी के सम्मुख गया तो मैंने राजकुमारी से पुछा,
“खड़ी हो तो आऊँ, लेटी हो तो जाऊं”
इन शब्दों के माध्यम से मैं राजकुमारी से यह जानने की कोशिश कर रहा था कि क्या वह युवावस्था में पदार्पण कर चुकी है और विवाह-योग्य वय में है, अधिक आयु की या बीमार तो नहीं है (क्योंकि बूढ़े और बीमार व्यक्ति अधिकतर बिस्तर पर पड़े रहते हैं). यह सुन कर राजकुमारी ने मेरे कथन का इस प्रकार उत्तर भिजवाया –
“मोंह पे हों तो आजा, नहीं तो जा”
Last edited by rajnish manga; 28-03-2013 at 04:11 PM.
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