जयपुर साहित्य महोत्सव 2015
ज.सा.म. 2015 में फिल्मकार विशाल भारद्वाज
फिल्म "हैदर" पर उठे विवाद पर:
सच कहूँ तो मुझे इस फिल्म के सन्दर्भ में उठे विवाद का कुछ तो आभास पहले से था क्योंकि कश्मीर की पृष्ठभूमि पर कोई फिल्म बने और कोई विवाद न खड़ा हो यह हो ही नहीं सकता. लेकिन यह विवाद इतने व्यापक स्तर पर खड़ा होगा, यह मुझे नहीं पता था. फिल्म के द्वारा कोई राजनैतिक सन्देश देने की मेरी मंशा नहीं थी बल्कि मैं तो वहां जो हो रहा है, वही दिखाना चाहता था.
कश्मीरी पंडितों की स्थिति पर कुछ नहीं कहा:
दरअसल, यह फिल्म (हैदर) कश्मीरी पंडितों के बारे में नहीं थी. ऐसा नहीं कि कश्मीरी पंडितों को अपना घरबार छोड़ कर जो भटकना पड़ रहा है, उसकी मुझे तकलीफ़ नहीं है. मैं तो केवल यह कहना चाहता हूँ कि फिल्म में जिस कहानी को पेश किया गया है, उसमे इस समुदाय की मुश्किलों पर ध्यान फोकस करने की गुंजाईश नहीं थी.
गुलज़ार साहब से रिश्तों के बारे में:
गुलज़ार साहब से मेरे बड़े घनिष्ट संबंध हैं. कभी तो यह पिता-पुत्र के रिश्तों की तरह दिखाई देते हैं कभी गुरू-शिष्य की तरह. लेकिन मेरा मानना है कि उनसे मेरा संबंध रूहानी अधिक है.