View Single Post
Old 13-03-2013, 11:12 PM   #3
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 241
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: पारख साहब के दिलचस्प किस्से

जंगली पौधे और शहरी पौधे

कल पारख साहब ने एक किस्सा सुनाया. आज कल हमारे दफ्तर में रंग-रोगन का काम चल रहा है. झाड़ – पोंछ – रगड़ाहट की वजह से काफी धूल उडती रहती है जिसके कारण वहां बैठे रहना दुश्वार हो जाता है. बात बात में मैंने कहा कि कल परसों से इस धूल के कारण मेरा गला खराब हो गया है तो उन्होंने मुझसे यह कहा कि ये जो मजदूर काम कर रहे हैं, इनकी ओर तो देखो, इनका तो यह पेशा है. इस पर मैंने कहा कि चूना मिली धूल का जो असर हम पर होता है कुछ न कुछ तो इन पर भी होता होगा. यह बात दूसरी है कि आदतवश या मजबूरी में यह लोग सहन कर लेते हैं. इस पर पारख साहब ने निम्नलिखित किस्सा सुनाया:-

एक बार एक राजा जंगल में शिकार खेलने गया हुआ था. जंगल में वह अपने साथियों से बिछड़ गया और एक लक्कड़हारे की झोंपड़ी में पहुँच गया. लक्कड़हारे की बीवी ही उस समय झोंपड़ी में थी और लक्कड़हारा काम पर गया हुआ था. लक्कड़हारे की पत्नि प्रसव में थी. राजा ने देखा कि बच्चे के प्रसव के बाद उठ कर अपने काम काज में लग गई.

राजा के मन पर इस घटना का बड़ा भारी असर हुआ. उसकी रानी भी गर्भवती थी और शिशु को जन्म देने वाली थी. उस घटना से प्रभावित राजा ने यह आज्ञा दी कि कि कोई वैद्य व हकीम रानी की देखभाल करने के लिए नहीं बुलाया जाएगा. किसी प्रकार की सुगंधि तथा वैभव रानी के पास तक नहीं जाने चाहिए. उसके मन में यह विचार था कि यदि जंगल में एक स्त्री बिना किसी की सहायता के और बिना किसी देखभाल के अपने बच्चे को जन्म दे सकती है तो रानी क्यों ऐसा नहीं कर सकती? इसके लिए ये सारा दिखावा क्यों?

दो चार दिन तक यह क्रम चलता रहा. राजा के प्रधानमंत्री भी सोच में पड़ गए. क्या किया जाए? राजा को समझाना आसान नहीं था. खैर उन्होंने मन ही मन कुछ निश्चय किया. उन्होंने शाही वाटिका में काम करने वाले मालियों को कह दिया कि वे लोग अब से पौधों में और गमलों में दो तीन दिन पानी न डालें. ऐसा ही किया गया. एक दिन राजा शाही वाटिका में घूमने के लिए आये. उन्हें यह देख कर बड़ा अहंभा हुआ कि फूलों वाले सभी पौधे मुरझा गए हैं. उनकी डालियाँ कुम्हला गई थीं. उन्होंने अपनी बगल में चल रहे प्रधान मंत्री की ओर प्रश्नवाचक दृष्टि से देखा. प्रधानमंत्री राजा का आशय समझ कर बोले,
“महाराज, जंगल में पौधों को कौन पानी डालता है? और कौन उनकी देखभाल करता है? कोई नहीं.लेकिन वे फिर भी फलते फूलते रहते हैं. तो इन पौधों को देख भाल की या मालियों की जरूरत क्यों हो?
महाराज प्रधान मंत्री की बात का मर्म समझ कर मुस्कुरा दिए और उन्होंने अपनी जिद छोड़ दी.
(29/10/1976)
rajnish manga is offline   Reply With Quote