Re: शताब्दी के महानायक अमिताभ बच्चन
प्र. क्या आप चाहते हैं कि अभिषेक और आपकी आने वाली पीढिय़ां बच्चनजी कीरचनाओं, विचार और दर्शन को उसी तरह अपनाएं और अपनी पीढ़ी के साथ आगेबढ़ाएं, जैसे आपने बढ़ाया है?
उ. ये अधिकार मैं उन पर छोड़ता हूं. यदि उनके मन में आया कि इस तरह से कुछ काम करना चाहिए, तो वो करें. मैं उन पर किसी तरह का दबाव नहीं डालना चाहता हूं कि देखो, ये हमारे परिवार की परंपरा रही है, हमारे लिए एक धरोहर है, जिसेआगे बढ़ाना है. न ही बाबूजी ने कभी हमसे ये कहा कि ये धरोहर है. क्योंकिउनकी जो वास्तविकता थी, उसे कभी उन्होंने हमारे सामने ऐसे नहीं रखा किमैंने बहुत बड़ा काम कर दिया है. उसके पीछे छुपी हुई जो बात थी, वो हमेशापता चलती थी. जैसे विलायत पीएचडी करने गए, पैसा नहीं था. कुछ फेलोशिप मिली, फिर बीच में वो भी बंद हो गई. मां जी ने गहने बेचकर पैसा इकट्ठा किया, क्योंकि वो चाहती थीं कि वो पीएचडी करें. चार साल जिस पीएचडी में लगता है, वो उन्होंने दो वर्षों में ही पूरी कर ली और काफी मुश्किल परिस्थितियोंमें रहे वहां. जब वो वापस आए, तो उस ज़माने में तो विलायत जाना और वापस आना बहुत बड़ी बात होती थी और खासकर इलाहाबाद जैसी जगह पर. सब लोग बहुत खुश कि भाई, विलायत से लौटकर के आ रहे हैं और हम बच्चे ये सोचते थे कि हमारे लिएक्या तोहफा लाए होंगे. सबसे पहला सवाल हमने बाबूजी से यही किया कि क्यालाएं हैं आप हमारे लिए? उन्होंने मुझे सात कॉपी, जो उनके हाथ से लिखी हुईपीएचडी है, वो उन्होंने मुझे दी. कहा कि ये मेरा तोहफा है तुम्हारे लिए. ये मेरी मेहनत है, जो मैंने दो साल वहां की. उसे मैंने रखा हुआ है. उससे बड़ा उपहार क्या हो सकता है मेरे लिए.
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