Re: डार्क सेंट की पाठशाला
कई रूपों में जीते हैं हम
दरअसल हमें पता ही नहीं लगता लेकिन हम एक साथ कई रूपों में जीते हैं। लेकिन आपको यह भी पता होना चाहिए कि अपना जीवन सिर्फ हम ही नहीं जीते, दूसरे लोग भी हमारा जीवन किसी ना किसी रूप में जी रहे होते हैं। यानी जो हमें जानते हैं या जो हमसे किसी न किसी रूप में जुड़े हैं अपने मन में हमारी एक छवि बनाए रखते हैं। अब यह छवि कैसी है और कैसी नहीं इसका पता हमको नहीं होता। हमारी बातों को,हमारे व्यवहार-आचरण को वे अपने तरीके और अपनी सोच के आधार पर दर्ज करते चलते हैं और हमारे व्यक्तित्व में कई तरह के रंग भी भरते हैं। याने वे हमें अपने मन व दिमाग के सांचे में अपनी विचारधारा के आधार पर ढाले रहते हैं। ऐसे में एक दिन हम चौंक जाते हैं यह जानकर कि अमुक व्यक्ति तो हमारे बारे में ऐसा सोचता है,वैसा सोचता है। कई बार हमे यह सुखद भी लगता है और कई बार हमे यह कम या ज्यादा अप्रिय भी लगता है। पर इसमें हम कुछ नहीं कर सकते। यह हमारे वश में है ही नहीं। दूसरों को अपनी एक खास छवि बनाने से रोकना आसान ही नहीं नामुमकिन भी होता है। हां,अगर हम थोड़े भी सतर्क या जागरुक रहें तो इतना तो संभव है कि हम अपने बेहद करीबी लोगों के प्रति अपने आचरण में कुछ ना कुछ बदलाव ला सकते हैं। पर इसके बावजूद हमारे जीवन को मनमाने रंग में रंगने की उनकी स्वतंत्रता हम नहीं छीन सकते। हम उन्हे यह कह कर नहीं टोक सकते कि आप मेरे बारे में ऐसे विचार क्यों रखते हैं या आप मेरे बारे में ऐसा क्यों सोचते हैं। यह उनकी आजादी है कि वे आपके बारे में कोई भी विचारधारा रख सकते हैं और इस आजादी पर आप लगाम लगाना चाहें भी तो नहीं लगा सकते। ठीक वैसे ही जैसे हमारी आजादी कोई नहीं छीन सकता। यह भी तय है कि जिस प्रकार अन्य लोग हमारे बारे में छवि बनाते हैं,हम भी अपने भीतर दूसरों की एक खास छवि बनाए रखते हैं। इस तरह देखा जाए तो हर कोई एक-दूसरे का जीवन जी रहा होता है।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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