Re: पौराणिक कथायें एवम् मिथक
बेबिलोनिया व सुमेरिया के मिथक
गिलगमेश की कथा
गिलगमेश का आख्यान शायद पृथ्वी पर लिखित रूप से उपलब्ध सबसे पुराना आख्यान है. यह शायद प्राचीन बेबिलोनिया / सुमेरिया की सबसे प्रसिद्ध काव्य-कथा है. यह कथा मिट्टी की बारह 12 बट्टियों पर लिखी गई थी. इस कहानी का विषय है सुमेरिया के राज्य उरुक के ऐतिहासिक नरेश गिलगमेश के साहसिक कारनामे. कहते हैं कि उसने लगभग 3000 वर्ष पहले यहाँ पर राज्य किया था.
कहानी के अनुसार उरुक का राजा गिलगमेश बहुत रूपवान और बहादुर था मगर अत्याचारी था. प्रजा उसके अत्याचारों से तंग आ चुकी थी. गिलगमेश के अत्याचारों और आतंक से दुखी प्रजा ईश्वर के पास गई और उससे रक्षा की प्रार्थना की. ईश्वर ने एनकीडू को उत्पन्न किया जो लम्बे बालों वाला असीमित शक्ति का जंगलों में रहने वाला आदमी था. वह जंगली जानवरों के साथ मैदानों और पर्वतों पर घूमता था. गिलगमेश को जब एनकीडू के बारे में पता चलता है तो वह एक वैश्य को उसे नष्ट करने के लिए भेजता है. वैश्य जा कर एनकीडू को उरुक की सभ्यता और गिलगमेश के वैभव और शक्ति के बारे में बताती है तथा उसे उरुक ले आती है. गिलगमेश को एनकीडू के आने का पता चलता है. नव वर्ष के त्यौहार पर दोनों मिलते है और उनमे भयंकर द्वंद्व युद्ध होता है. द्वंद्व युद्ध अनिर्णीत रहता है जिसके बाद दोनों मित्र बन जाते हैं. वे दोनों मिल कर एक साथ कई बार साहस व वीरतापूर्वक खतरनाक कारनामों में भाग लेने निकल पड़ते हैं. इस अभियान के शुरू में वे हुमुंबा का वध करते है. वह एक भयंकर दैत्य था जिसकी दहाढ़ से ही बाढ़ और तूफान पैदा हो जाते थे. हुमुंबा मुंह से आग निकालता था और अपनी बाहर निकलती श्वांस से मृत्यु-वर्षा कर सकता था.
अपने इस अभियान के दूसरे मरहले में प्रेम और युद्ध की देवी ईशतर से उनकी मुठभेड़ होती है. ईशतर गिलगमेश को देख कर उस पर मुग्ध हो जाती है और उसे आमंत्रित करती है. गिलगमेश ईशतर का तिरस्कार करता है. ईशतर इससे क्रुद्ध हो जाती है वह देवताओं को विवश करती है कि वे स्वर्ग का दिव्य बैल भेज कर उन दोनों मित्रों को नष्ट कर दे. लेकिन गिलगमेश और एनकीडू उस बैल के आने पर भयंकर युद्ध करते हैं और उसका वध कर देते है. देवता निर्णय करते हैं कि बैल को मारने के कारण एनकीडू को भी मरना होगा. एनकीडू को स्वप्न में अपनी आसन्न मृत्यु के बारे में पता चलता है और उसको मृतकों के अँधेरे लोक में जाना पड़ेगा. उसका शरीर कमजोर पड़ने लगा तथा उसकी शक्ति क्षीण होने लग गयी. आखिर में एक दिन एनकीडू मर जाता है. गिलगमेश इससे बहुत आहत होता है. इस कथा का बड़ा हिस्सा एनकीडू की मौत के बाद गिलगमेश की मानसिक अवस्था और विषादपूर्ण विचारों पर केन्द्रित है. वह जंगलों और रेगिस्तान में विलाप करता हुआ घूमता रहता है. कथा में मनुष्य के अमरत्व पर बहुत जोर दिया गया है. यहाँ पर गिलगमेश को एनकीडू की मौत के बाद अमरत्व की खोज करते हुए दिखाया गया है. मृत्यु क्या है? इस प्रश्न का उत्तर ढूँढने और अमरत्व की खोज की दिशा में उसकी महायात्रा आरम्भ होती है.
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