View Single Post
Old 18-11-2012, 09:52 PM   #30
Dark Saint Alaick
Super Moderator
 
Dark Saint Alaick's Avatar
 
Join Date: Nov 2010
Location: Sherman Oaks (LA-CA-USA)
Posts: 51,823
Rep Power: 182
Dark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond repute
Default Re: बाल ठाकरे की जीवन यात्रा

ठाकरे को भावभीनी विदाई, महानगर बंद रहा



हिंदुत्ववादी नेता और मराठी स्वाभिमान के झंडाबरदार बाल ठाकरे आज पंचतत्व में विलीन हो गए । उनको लाखों लोगों ने अश्रुपूर्ण नेत्रों से भावभीनी विदाई दी जबकि महानगर लगभग बंद रहा । ठाकरे के बांद्रा स्थित घर ‘मातोश्री’ से शिवाजी पार्क की सड़क पर उनकी अंतिम झलक पाने के लिए लाखों लोग सड़कों पर उमड़ पड़े । उनकी मौत पर आज मुंबई लगभग बंद रही और बड़े-बड़े मॉल से लेकर छोटी चाय की दुकानें और ‘पान बीड़ी’ की दुकानें भी बंद रहीं । शव यात्रा के दौरान ‘परत या परत या बालासाहेब परत या (लौट आओ, लौट आओ, बालासाहेब लौट आओ), कौन आला रे, कौन आला शिवसेनेचा वाघ आला (कौन आया, कौन आया, शिवसेना का बाघ आया) और ‘बाला साहेब अमर रहे’ के नारे लगते रहे । उनके सबसे छोटे बेटे और शिवसेना के कार्यकारी अध्यक्ष उद्धव ने मुखग्नि दी। उनकी शव यात्रा में कई नेता (जिसमें सहयोगी से लेकर विपक्षी तक शामिल थे), फिल्म अभिनेता से उद्योगपति तक शामिल हुए । शव यात्रा के दौरान लंबे समय तक राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी और मित्र रहे शरद पवार, भाजपा प्रमुख नितिन गडकरी, लालकृष्ण आडवाणी, लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज, राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली, गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री प्रफुल्ल पटेल और राजीव शुक्ला उपस्थित रहे । शिवसेना के पूर्व नेता छगन भुजबल और शिवसेना छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए संजय निरूपम भी वहां मौजूद रहे । ठाकरे ने महाराष्ट्र की कई पीढियों का नेतृत्व किया था । सरकार ने शिवाजी पार्क में उनके अंतिम संस्कार करने को मंजूरी दी जो पहले इस तरह की किसी घटना का स्थान नहीं रहा । उनका राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया जो 1920 में बाल गंगाधर तिलक को दिए गए सम्मान के बाद पहला सार्वजनिक अंतिम संस्कार था। शिवसेना के संरक्षक के शव पर राज्यपाल के. शंकरनारायणन और मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने पुष्पचक्र अर्पित किया । मुंबई पुलिस के एक दस्ते ने उन्हें बंदूक की सलामी दी । यह सम्मान बिना आधिकारिक पद वाले किसी व्यक्ति को विरले ही मिलता है । पूरी मुंबई में सन्नाटा छाया रहा और कोई भी टैक्सी या आॅटोरिक्शा नहीं दिखा । बाजार, रेस्त्रां, सिनेमा हॉल और मल्टीप्लेक्स बंद रहे । बांद्रा-शिवाजी पार्क मार्ग शिवसेना समर्थकों के नारे से गुंजायमान रहा । बाला साहेब की अंतिम यात्रा जैसे ही ‘मातोश्री’ से शुरू हुई उनके बेटे उद्धव भावनाओं को काबू नहीं कर सके और विलाप करने लगे । जिस ट्रक में ठाकरे को ले जाया गया उसमें उद्धव के अलावा उनकी पत्नी रश्मि और बेटे तेजस तथा आदित्य सवार थे । ट्रक पर उनके भतीजे और मनसे प्रमुख राज ठाकरे सवार नहीं हुए और शोक संतप्त लोगों के साथ पैदल चले । इसके बाद वह शिवाजी पार्क में अंतिम संस्कार की व्यवस्था के लिए चले गए । जुलूस जैसे ही ‘शिवसेना भवन’ की तरफ बढा हजारों लोग सड़कों, घरों की बालकनी और फ्लाईओवर पर कतारबद्ध हो गए । उनकी एक झलक पाने के लिए लोग लैम्पपोस्ट के खंभों और वृक्षों पर चढ गए । कई लोगों ने उन पर फूल बरसाए । ‘मातोश्री’ और शिवाजी पार्क के बीच दस किलोमीटर की दूरी तय करने में शव यात्रा को करीब आठ घंटे लगे । शव यात्रा थोड़े वक्त के लिए ‘शिवसेना भवन’ में रूकी जिसे ठाकरे ने 1977 में बनवाया था जहां उनके शव को पार्टी के वरिष्ठ नेताओं द्वारा श्रद्धांजलि देने के लिए रखा गया था । यह सेना के आम कार्यकर्ताओं के लिए नहीं था । दशहरा रैली के दौरान ठाकरे जिस स्थान से शिवसेना के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते थे उसी जगह उनकी चिता सजाई गई । इसी जगह से 19 जून 1966 को पार्टी की शुरुआत करने के बाद उन्होंने अपने समर्थकों को अपना पहला भाषण दिया था । ठाकरे की जिंदगी बचाने का प्रयास करने वाले और कई वर्षों से उनकी देखभाल करने वाले चिकित्सकों ने उन्हें सर्वप्रथम श्रद्धांजलि अर्पित की । अंतिम संस्कार करने से पहले स्टेज पर लाल तिलक और उनका ट्रेडमार्क काला चश्मा रखा गया था । ठाकरे का नौकर थापा उद्धव और राज के साथ खड़ा था । ठाकरे के भतीजे और शिवसेना से अलग होकर अपनी पार्टी बनाने वाले राज ठाकरे की आंखें चिता को मुखाग्नि देते वक्त नम हो गईं । मनसे नेता ठाकरे की बीमारी के दौरान अकसर ‘मातोश्री’ जाते थे । वह उद्धव को भी अस्पताल लेकर गए और उनकी दो बार हुई एंजियोप्लास्टी के दौरान मौजूद रहे । समकालीन महाराष्ट्र के सबसे बड़े नेता ठाकरे का कल निधन हो गया था । वह सांस और अग्नाशय की बीमारी से पीड़ित थे । आर. के. लक्ष्मण के साथ अंग्रेजी अखबार फ्री प्रेस जर्नल में कार्टूनिस्ट के तौर पर सफर शुरू करने वाले ठाकरे ने मराठी युवकों को जागरूक किया । उस वक्त गुजराती, दक्षिण भारतीय, मारवाड़ी और पारसी सहित बाहरी लोग व्यवसाय और नौकरी में बहुलता में थे । उस वक्त ठाकरे ने ‘धरती पुत्र’ का नारा दिया था । ठाकरे के समर्थकों ने जहां उनकी पूजा की, वहीं उनको पसंद नहीं करने वालों ने विभाजनकारी राजनीति को लेकर उनकी कड़ी आलोचना की । ठाकरे ने कभी चुनाव नहीं लड़ा लेकिन करीब आधी सदी तक राज्य की राजनीति में बिना किसी पद पर रहे हमेशा प्रबल बने रहे । अधिकतर वक्त वह ‘मातोश्री’ में रहे जहां वह राजनीतिक नेताओं, विदेश हस्तियों, फिल्म अभिनेताओं और उद्योगपतियों से मुलाकात करते थे । क्षेत्रीय राजनीति के मुद्दों पर उनकी पार्टी 1995 में भाजपा के साथ गठबंधन में सत्ता में आई, लेकिन अगले चुनाव में उनकी पार्टी सत्ता से बाहर हो गई । बहरहाल, उनकी पार्टी वित्तीय राजधानी के सबसे धनी निकाय बृहन्मुंबई नगर निगम पर काबिज रही।
Attached Images
This post has an attachment which you could see if you were registered. Registering is quick and easy
__________________
दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
Dark Saint Alaick is offline   Reply With Quote