Re: ~!!चन्द्रकान्ता!!~
कुछ देर तक वीरेन्द्रसिंह और तेजसिंह टहलते और मेवों को तोड़कर खाते रहे। इसके बाद तेजसिंह ने कहा, ‘‘अब चलना चाहिए। देर हो गई।’’ कुमार ने कहा, ‘‘चलो।’’ दोनों बाहर आये तेजसिंह ने कहा, ‘‘इस दरवाजे को आपने खोला है, आप ही बन्द कीजिए।’’ कुमार ने यह कह कि ‘‘अच्छा लो, हम ही बन्द कर देते हैं’’, दरवाजा बन्द कर दिया और घोड़े पर सवार हुए। जब विजयगढ़ के करीब पहुंचे तो तेजसिंह ने कहा, ‘‘अब आप जाइए, मैं जरा फौज की खबर लेता हुआ आता हूँ।’’ कुमार ने कहा, ‘‘अच्छा जाओ।’’ यह सुन तेजसिंह दूसरी तरफ चले गये और कुमार किले में चले आये, घोड़े से उतर कमरे में गये, आराम किया। थोड़ी रात बीते तेजसिंह कुमार के पास आये। कुमार ने पूछा, ‘‘कहो, क्या हाल हैं ?’’तेजसिंह ने कहा, ‘‘सब इन्तजाम आपके हुक्म मुताबिक हो गया, आज दिनभर में एक घण्टे की छुट्टी न मिली जो आपसे मुलाकात करता।’’ यह सुन वीरेन्द्रसिंह हंस पड़े और बोले, ‘‘दोपहर तक तो हमारे साथ रहे तिस पर कहते हो कि मुलाकात न हुई !’’ यह सुनते ही तेजसिंह चौंक पड़े और बोले, ‘‘आप क्या कहते हैं।’’ कुमार ने कहा, ‘‘कहते क्या हैं, तुम मेरे साथ उस तहखाने में नहीं गये थे जहाँ अहमद और भगवानदत्त बन्द हैं ?’’
अब तो तेजसिंह के चेहरे का रंग उड़ गया और कुमार का मुंह देखने लगे। तेजसिंह की यह हालत देखकर कुमार को भी ताज्जुब हुआ। तेजसिंह ने कहा, ‘‘भला यह तो बताइए कि मैं आपसे कहाँ मिला था, कहाँ तक साथ गया और कब वापस आया ?’’ कुमार ने सब कुछ कह दिया। तेजसिंह बोले. ‘‘बस, आपने चौका फेरा। अहमद और भगवानदत्त के निकल जाने का तो इतना गम नहीं है मगर दरवाजे का हाल दूसरे को मालूम हो गया इसका बड़ा अफसोस है।’’ कुमार ने कहा, ‘‘तुम क्या कहते हो समझ में नहीं आता।’’ तेजसिंह ने कहा, ‘‘ऐसा ही समझते तो धोखा ही क्यों खाते। तब न समझे तो अब समझिए, कि शिवदत्त के ऐयारों ने धोखा दिया और तहखाने का रास्ता देख लिया। जरूर यह काम बद्रीनाथ का है, दूसरे का नहीं, ज्योतिषी उसको रमल के जरिए से पता देता है।’’
कुमार यह सुन दंग हो गये और अपनी गलती पर अफसोस करने लगे। तेजसिंह ने कहा, ‘‘अब तो जो होना था हो गया, उसका अफसोस कहे का। मैं इस वक्त जाता हूँ, कैदी तो निकल गये होंगे मगर मैं जाकर ताले का बन्दोबस्त करूंगा।’’ कुमार ने पूछा, ‘‘ताले का बन्दोबस्त क्या करोगे ?’’ तेजसिंह ने कहा, ‘‘उस फाटक में और भी दो ताले हैं जो इससे ज्यादा मजबूत हैं। उन्हें लगाने और बन्द करने में बड़ी देर लगती है इसलिए उन्हें नहीं लगाता था मगर अब लगाऊंगा।’’ कुमार ने कहा, ‘‘मुझे भी वह ताला दिखाओ।’’ तेजसिंह ने कहा, ‘‘अभी नहीं, जब तक चुनार पर फतह न पावेंगे न बतावेंगे नहीं तो फिर धोखा होगा।’’ कुमार ने कहा, ‘‘अच्छा मर्जी तुम्हारी।’’
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