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Originally Posted by dr. Rakesh srivastava
वक्त ज्यादा नहीं है नाप लो ऊँचाई को ;
फूट जाओगे किसी रोज बुलबुले की तरह .
रचयिता ~~~डॉ. राकेश श्रीवास्तव
विनय खण्ड - २ , गोमती नगर , लखनऊ .
शब्दार्थ ~~(इल्म =ज्ञान , तिश्नगी = प्यास , ज़र्रे = अति सूक्ष्म कण )
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बहुत खूब कहा है आपने डॉ.साहेब !
एक और सुंदर प्रस्तुती के लिए धन्यवाद !