Re: लिखे जो ख़त तुम्हे .....
अब कहां फुर्सत थी! कांटी पर टंगे करछुल को सीधा करने की जिसके लिए छोटी बहन को सज़ा दिया जाता। हर चीज़ को रखने का एंगल बताया जाता। सहेजने और बरतने का सलीका समझाया जाता। जिंदगी काट कर रखी हुई थी और तनहाई ने खीझ पैदा कर थी। कभी रो लिया जाता तो कभी किसी छोटे बच्चे को पकड़कर दो तमाचे मार दिए जाते।
नेक लाइन के गड्ढे गहरे हो जाते, जहां अक्सर नहाने के बाद पानी की एक बूंद देर तक रूकी रहती। कई बार तो रूके रूके ही सूख जाती तो कई बार वो उसके देख लिए जाने के बाद होंठों से चुन ली जाती। एक बार तो उसने कह भी दिया था सबमें लड़ाई होती होगी मैं यहां ठहरूंगा।
उसकी दुनिया जबसे छोटी हुई यह आहट ही है जिसे सुनकर जीवन के तमाम गंगा घाट पर दीये जल जाते और उसके बाइस पानी में एक शरारे पैदा हो जाते।
प्रेमिका इतनी संवेदनशील कि काम करते, सोते जागते उसके आने का एक खदशा होता। सूनी सी गली मन के एकांत में दूर तक रेंग गई थी लेकिन जब आज सीढ़ी पर आदमकद छाया देखी तो पूरा बदन झूठा (सुन्न) पड़ गया और अब पवित्र मिलन से जूठा होने की बारी थी।
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