Re: Jabalpur & Indore (M.P.)
कहाँ और कब शुरूहुई होगी बाज बहादुर और रानी रूपमती की यह प्रेम कहानी, इसका भी एक छोटा सा इतिहास है। इस प्रेम कहानी के घटने कासमय पंद्रहवीं शताब्दी का उत्तर-काल है और यह भी लगता है कि इस प्रेम कहानी नेलोक-मानस में जल्दी ही अपनी जगह बना ली और यह समय बदलने के साथ रूप भी बदलती रही।लोक इतिहास जब शब्द, संगीत, चित्रकला और स्थापत्य में जब सुरक्षित हो जाता है तोउसकी उम्र भी दराज़ होती है। लोक में चलती इन्हीं कविताओं और कहानी को सबसे पहले 1599 में अहमद-उल-उमरी ने फ़ारसी में सुरक्षित किया। उन्होंने इस कहानी के साथ 26 कविताओं को भी शामिल किया। यही मौलिक पाण्डुलिपि उनके पोते फ़ौलाद खां को मिली औरफ़ौलाद खां के मित्र मीर जाफ़र अली ने 1653 में इसकी एक प्रतिलिपि तैयार की।
मीर जाफ़रकी यही प्रतिलिपि दिल्ली के महबूब अली तक पहुँची। 1831 में महबूब अली के मृत्यु केबाद यही प्रतिलिपि दिल्ली की एक अनाम महिला के पास पहुँच गई। भोपाल के इनायत अलीइसे दिल्ली से आगरा लाए। बाद में यह पाण्डुलिपि सी.ई. लॉर्ड को जब मिली तो उन्होंने 1926 में एल.एम. करम्प से इसका अंग्रेज़ी में ‘दि लेडी आफ़ दि लोटस:रूपमती, क्वीन आफ़माण्डू: अ स्ट्रेंज टेल आफ़ फ़ेथफ़ुलनैस’ शीर्षक से अनुवाद करवाया और इस तरह से यहप्रेम-गाथा लोक मानस के साथ-साथ शब्द में भी सुरक्षित हो गई। हमारी गाड़ी तेज़ी सेभागी जा रही थी। हम माण्डू में प्रवेश कर चुके थे। माण्डू के चारों ओर का परकोटापैंतालीस किलोमीटर लंबी दीवार से घिरा हुआ है।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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