Re: सफलता के सूत्र :: देवराज के साथ
आकाँक्षाओं की पूर्ति अभीष्ट स्तर की प्रतिभा एवं पुरुषार्थ का होना आवश्यक है। अन्यथा वे मात्र ललक बनकर रह जाती है, जिनका कुछ प्रतिफल निकलता नहीं। साथ ही उनकी दिशाधारा की रचनात्मक होना भी उतना ही आवश्यक है, नहीं तो उनकी परिणति स्वयं एवं समाज दोनों ही के लिए अहित कर होती है।
नाम कमाने की आकाँक्षा अधिकाँश, व्यक्तियों के मन में होती है। कुछ सम्पदा संग्रह का मार्ग चुनते हैं, कुछ प्रतिभार्जन का तथा कुछ शक्ति संग्रह का जो अपनी स्थिति का सही मूल्याँकन करके तद्नुरूप प्रयास करते हैं, वे सफल भी होते हैं, पर अधिकाँश की इच्छाओं का उनकी स्थिति से तालमेल बैठता नहीं वे अभीष्ट स्तर का पुरुषार्थ कर पाते हैं। फलतः उन्हें असफलता ही हाथ लगती है।
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मेरी चित्रशाला : दिल दोस्ती प्यार ....या ... .
तुमने मजबूर किया हम मजबूर हो गये ,...
तुम बेवफा निकले हम मशहूर हो गये ..
एक " तुम " और एक मोहब्बत तेरी,
बस इन दो लफ़्ज़ों में " दुनिया " मेरी..
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