Re: ज़रा इधर भी...
क्या है यह तकनीक?
अक्सर अंडरग्राउंड मेट्रो में मोबाइल सिग्नल टूट जाते हैं। 'मेश नेटवर्क' इंटरनेट की मुख्यधारा से इतर 'ऑफ-द-ग्रिड' संचार का आदान-प्रदान करता है।
इसकी क्षमता भी बहुत ज़्यादा है। इसका इस्तेमाल आपदा राहत प्रयासों में, जहां नेटवर्क बहुत ख़राब हो या सरकार विरोधी प्रदर्शनों के दौरान एक दूसरे से जुड़े रहने के लिए किया जा सकता है।
इसकी तकनीक को सरल अर्थ में कह सकते हैं कि यह एक साइकिल के पहिए की तरह काम करता है। जिसकी हर डंडी एक केंद्रीय बिंदु से जुड़ी होती है। फिर वह केंद्रीय बिंदु मोबाइल फ़ोन नेटवर्क, इंटरनेट नेटवर्क या कंप्यूटर सर्वर ही क्यों न हो।
अगर आप के फ़ोन में नेटवर्क नहीं आ रहा तो भी आप 'मेश नेटवर्क' के जरिए रेंज में आने वाले दूसरे मोबाइल फ़ोन को मैसेज भेज सकते हैं।
'मेश नेटवर्क' का अपना कोई सेंट्रल कनेक्शन बिंदु नहीं होता। इसके बावजूद नेटर्वक की प्रत्येक डंडी अपने आप में 'वेब्ड नोड' की तरह काम करती है और बड़ी ही कुशलता से नेटवर्क के रेंज में आने वाले दूसरे मोबाइल से कनेक्ट कर लेती है।
इसका मतलब है कि बिना किसी मुख्यधारा की नेटवर्क के भी किसी भी मैसेज को आसानी से एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाया जा सकता है।
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मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !!
दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !!
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