22-09-2014, 02:13 PM
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#23
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Re: गुण और कला
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Originally Posted by rajnish manga
यहाँ पर मैं कुछ कहना चाहता हूँ. वह यह कि आज के युग में सीधा या निष्कपट होना एक दुर्लभ गुण है. निष्कपट व्यक्ति दूसरे को धोखा नहीं देगा भले ही उसके सीधेपन का फ़ायदा औरों द्वारा उठाया जाये. मगर इसका मतलब यह नहीं है कि सीधापन किसी सीधे व्यक्ति का का गुण न हो कर दुर्गुण करार दिया जाये और उसकी बराबरी बेवकूफी से की जाये. आप मुझे यह बतायें कि हमारे आसपास जो अपराध देखने में आते हैं क्या अपराध की उन सभी वारदातों में शिकार हुये व्यक्ति सीधे थे या सीधेपन से ग्रस्त बेवकूफ थे.
आप यह मानेंगे कि तमाम खराबियों के, अपराधियों के, कातिलों के, उग्रवादियों के, षड्यंत्रकारियों के यह दुनिया चल रही है. बड़े बड़े आक्रांता भी अपनी मनमानी अधिक समय तक नहीं चला सके. और इसके पीछे कौन है? इसके पीछे हैं सच्चाई व अच्छाई, अच्छे लोग और अच्छी सोच. यदि संसार से अच्छाई खत्म हो जाये तो संसार का अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा. अंत में कहूँगा कि सीधापन दोष नहीं एक गुण है और इसे गुण के रूप में ही समादृत किया जाना चाहिए. आप सभी मित्रों का हार्दिक धन्यवाद.
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रजनीश जी आपने इस चर्चा को एक नया ही मोड़ दिया और मेरी जिज्ञासा भी आपका उत्तर देख कर थोड़ी शांत हुई है।
अब जो बात दिमाग में आई है वो ये कि सीधा होना और साफ़ दिल होना क्या एक ही बात होती हैं ? जैसा की आपने कहा कि अगर दुनिया से अच्छाई ख़त्म हो जाये तो दुनिया का अस्तित्व ही नहीं रहेगा , तो अगर कोई व्यक्ति चालाक हो या कहना उचित होगा कि अगर कोई व्यक्ति चतुर हो तब भी तो वो साफ़ दिल , और अच्छा हो सकता है। जैसे - बीरबल , बीरबल सीधे नहीं थे , उनकी गिनती तो चतुर लोगों में होती है। परन्तु वो बहुत ही अच्छे और साफ़ दिल थे। एक और उदाहरण लें तेनालीरमन का।
निश्चित ही सीधापन एक गुण है , तभी तो सब लोग तारीफ में कहते हैं कि " वह व्यक्ति बहुत सीधा है " …।पर मुझे वास्तव में जिज्ञासा यह थी कि हमारे पास ऐसे कई शब्द हैं जैसे - मासूम , निश्छल , सच्चा , अच्छा , सरल तो फिर ये सीधापन शब्द ही क्यों ज़्यादा प्रयोग में आता है। और वास्तव में जब लोग किसी को सीधा कहते हैं तो किस बात से प्रभावित होकर कहते हैं ?
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