Re: दलितों को सम्मान सहित जीने का अधिकार कब मि
दलितों को सम्मान सहित जीने का अधिकार कब मिलेगा?
संबंधित संवैधानिक प्रावधान
भारत में अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों के कल्याण के बारे में संविधान की अनुच्छेद 46 में वर्णन किया गया है. इसमें कहा गया है कि देश के कमजोर वर्गों, विशेषकर अनुसूचित जातियों और जनजातियों के आर्थिक व शैक्षणिक उत्थान अौर उन्हें शोषण व अन्याय से बचाने के लिए राज्य विशेष उपाय करेगा.
संविधान के अनुच्छेद 244 (i) की पांचवीं अनुसूची में अनुसूचित जनजातियों की संख्या व क्षेत्र एवं अनुच्छेद 244 (ii) की छठवीं अनुसूची में असम में जनजातियों के क्षेत्र व इनके स्वायत्त जिलों का प्रावधान है. लेकिन, 1982 में अनुच्छेद 244 (ii) में संशोधन किया गया और इसमें शामिल स्वायत्त जिलों के प्रावधान को असम के बाहर नागालैंड, मणिपुर, सिक्किम जैसे दूसरे पूर्वोत्तर राज्यों पर भी लागू किया गया. त्रिपुरा में जनजातियों की स्वायत्त जिला परिषद् का गठन भी इसी संशोधन के आधार पर किया गया.
संविधान के अनुच्छेद 17 के तहत अनुसूचित जातियों को लेकर व्याप्त अस्पृश्यता को समाप्त किया गया.
अनुच्छेद 164 के तहत छतीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश और ओड़िशा जैसे राज्यों में जनजातियों के कल्याण की देख-रेख के लिए एक मंत्री नियुक्त करने का प्रावधान है. वहीं अनुच्छेद 275 में जनजाति कल्याण के लिए केंद्र सरकार द्वारा राज्य सरकार को अनुदान देने का प्रावधान शामिल है.
अनुच्छेद 330, 332 एवं 334 के तहत लोकसभा और राज्यों के विधानसभाओं में अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षण से संबंधित है. अनुच्छेद 335 के तहत जनजातियों को नौकरी एवं पदोन्नति में आरक्षण का प्रावधान है.
अनुसूचित जाति-जनजाति (अत्याचार निवारण) संशोधन अधिनियम, 2015
अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों के विरुद्ध होनेवाले अपराधों को रोकने के लिए अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) संशोधन अधिनियम, 2015 दिनांक 26 जनवरी 2016 से लागू है.
अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 में संशोधन के लिए विधेयक को चार अगस्त, 2015 को लोकसभा तथा 21 दिसंबर, 2015 को राज्यसभा द्वारा पारित किया गया था. 31 दिसंबर 2015 को इसे राष्ट्रपति ने स्वीकृति दी थी. इसके बाद एक जनवरी, 2016 को इसे भारत के असाधारण गजट में अधिसूचित किया गया.
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
|