Re: पारख साहब के दिलचस्प किस्से
निश्चित दिनों और स्थान पर राज कुमारी से विवाह के इच्छुक नवयुवक आने लगे. राजकुमारी ने प्रतियोगिता शुरू करते हुए पहले प्रतियोगी से प्रश्न पूछा,
“बत्तीस कीले, पांच मोड़ जो ल्यावे,
वो नर ब्याह मुझे ले जावे.”
वह इसका कोई उत्तर न दे पाया. इसी प्रकार राजकुमारी हर प्रतियोगी से यही प्रश्न पूछती लेकिन कोई भी उसका संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाया. शाम होने को आई.
उस राज कुमारी की ख़ास सेविका महल के द्वार पर ही खड़ी थी और हर आगंतुक के सम्मुख यह प्रश्न कह सुनाती. लेकिन कोई उत्तर नहीं मिला. इसी बीच, हमारी कहानी का नायक भी राजकुमारी की इन शर्तों के बारे में सुन चुका था. वह एक ऐसे स्थान पर पहुंचा जहाँ बहुत से बुजुर्ग रोज बैठे कर जन सामान्य से जुड़े मसलों पर चर्चा किया करते थे. वे उस नौजवान को अब पहचानने लगे थे. उसने उनके समक्ष राज कुमारी की शर्तों के बारे में चर्चा की.
वह राजा के महल में जा पहुंचा. उसने महल के बाहर खड़ी दासी को एक पोटली दे कर कहा कि इस पोटली को वह अपनी राज कुमारी को दे दे. उसने अपनी एक शर्त भी राजकुमारी के लिए कह सुनाई. उसने राजकुमारी को उस नवयुवक, उसकी पोटली और उसकी शर्त के बारे में भी बताया. राजकुमारी ने उस नौजवान को महल में बुला लिया. वह राजकुमारी से कुछ दूरी पर खड़ा हो गया और फिर उसने राजकुमारी को संबोधित करते हुए कहा,
“खड़ी हो तो आऊं, पड़ी हो तो जाऊं”
यह बात सुन कर राजकुमारी ने वापिस उत्तर दिया,
“मोंह पे हो तो आजा, नहीं तो जा.”
|