Re: मरने के बाद
दो तरह के अंगदान
-एक होता है अंगदान और दूसरा होता है टिशू का दान। अंगदान के तहत आता है किडनी, लंग्स, लिवर, हार्ट, इंटेस्टाइन, पैनक्रियाज आदि तमाम अंदरूनी अंगों का दान। टिशू दान के तहत मुख्यत: आंखों, हड्डी और स्किन का दान आता है।
-ज्यादातर अंगदान तब होते हैं, जब इंसान की मौत हो जाती है लेकिन कुछ अंग और टिशू इंसान के जिंदा रहते भी दान किए जा सकते हैं।
-जीवित लोगों द्वारा दान किया जाने वाला सबसे आम अंग है किडनी, क्योंकि दान करने वाला शख्स एक ही किडनी के साथ सामान्य जिंदगी जी सकता है। वैसे भी जो किडनी जीवित शख्स से लेकर ट्रांसप्लांट की जाती है, उसके काम करने की क्षमता उस किडनी से ज्यादा होती है, जो किसी मृत शरीर से लेकर लगाई जाती है। भारत में होने वाले ज्यादातर किडनी ट्रांसप्लांट के केस जिंदा डोनर द्वारा ही होते हैं। लंग्स और लिवर के भी कुछ हिस्सों को जीवित शख्स दान कर सकता है।
-इसके अलावा आंखों समेत बाकी तमाम अंगों को मौत के बाद ही दान किया जाता है।
-घर पर होने वाली सामान्य मौत के मामले में सिर्फ आंखें दान की जा सकती हैं। बाकी कोई अंग नहीं ले सकते। बाकी कोई भी अंग तब लिया जा सकता है, जब इंसान की ब्रेन डेथ होती है और उसे वेंटिलेटर या लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर ले लिया जाता है।
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बेहतर सोच ही सफलता की बुनियाद होती है। सही सोच ही इंसान के काम व व्यवहार को भी नियत करती है।
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