अद्भुत सूत्र है, रजनीशजी। उमर खय्याम की रुबाइयां स्वयं ही मादक, सम्मोहक और मस्त कर देने वाली हैं, उस पर आपने उनका जो अनुपम रूपांतर किया है, माशाअल्लाह वह काबिले तारीफ़ ही नहीं, दीवाना कर देने वाला है। फोरम को आपका यह एक बेहतरीन तोहफा है; इसके लिए मैं आपका तहे-दिल से शुक्रिया अदा करता हूं। आभार।