Re: गुरुदत्त की फिल्म प्यासा
विजय के जवाब से गुलाबो भड़क उठी और ग़ुस्*से से बोली, ‘तो मेरे पीछे क्यों आए?’ विजय ने कहा, ‘वो गीतों वाली फाइल आपके पास है या नहीं. मेरे पास जब पैसे…’. इतना सुनते ही गुलाबो ने गुस्से से कहा, ‘तू ख़ाली हाथ आया मेरी पीछे! इस गोदी को ख़ाला जी का घर समझा है क्*या? चल… निकल यहां से!’.
घर में उपर आकर गुलाबो सोच रही है कि आज की शाम तो बेकार हो गई थी. कितनी मुश्किल से ग्राहक पटा था. वह भी भिखारी निकला. कमरे में गुलाबो की नजर नज़्मों की फ़ाइल पर गई, अचानक ही उसे लगा कि कहीं पीछा करना वाला वह शख्स ही तो उन नज्मों को लिखने वाला शायर नहीं था. गुलाबो तुरंत भागी भागी बाहर आई, पर विजय उसकी दहलीज से जा चुका था.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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