09-01-2016, 03:41 PM
|
#14
|
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 241
|
Re: आपकी बेटी, निर्भया
Quote:
Originally Posted by soni pushpa
बहुत दुखद बात ये है की इस दर्द का एहसास कानून बनाने वालों को नहीं., और दरिंदो के पक्ष में जब न्यायलय अपना फैसला सुनाते हैं तब न्यायव्यवस्था पर से विश्वास उठ जाता है .जिसने पाप न किया गुनाह न किया उसने सजा पा ली., और जिसने घोर पाप , गुनाह किया वो बरी हो गया . परिवार और जनता के दुखी मन की बातें एक तरफ रह गए और गुनाह करने वाला आज आजाद घूम रहा है ...
दिल को छू लेने वाली कविता भाई .. धन्यवाद... काश कोई न्यायधीश दुखते दिल की इस रचना को पढ़े और समझे और निर्भया को न्याय मिल जाय ...
|
धन्यवाद बहन, आपकी टिप्पणी में कहीं न कहीं सारे समाज की व्यथा सिमट आयी है. न्यायालय को दोष देना यहाँ इसलिए ठीक नहीं होगा कि न्यायालय कानून से बंधे हैं. अब कानून में कुछ बदलाव लाया गया है जो भविष्य में अवश्य अपना प्रभाव दिखायेगा.
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
|
|
|