Re: कुछ पल जगजीत सिंह के नाम :देवराज के साथ
खुमारी चढ़ के उतर गई
ज़िंदगी यूं ही गुजर गई – 2
कभी सोते सोते कभी जागते
ख़्वाबों के पीछे यू ही भागते
अपनी तोः सारी उमर गई- 2
खुमारी चढ़ के उतर गई
ज़िंदगी यूं ही गुजर गई
रंगीन बहारों की ख्वाहिश रही
हाथ मगर कुत्च आया नही- 2
कहने को अपने थे साथी कई
साथ किसीने निभाया नही – 2
कोई भी हमसफ़र नही
खो गई हर डगर कही
कभी सोते सोते कभी जागते
ख़्वाबों के पीछे यू ही भागते
अपनी तोह सारी उमर गई – 2
खुमारी चढ़ के उतर गई
ज़िंदगी यूं ही गुजर गई
लोगों को अक्सर देखा है
घर के लिए रोते हुए – 2
हम तोः मगर बेघर ही रहे
घरवालों के होते हुए – 2
आया अपना नज़र नही – 2
अपनी जहाँ तक नज़र गई
कभी सोते सोते कभी जागते
ख़्वाबों के पीछे यू ही भागते
अपनी तोः सारी उमर गई- 2
खुमारी चढ़ के उतर गई
ज़िंदगी यूं ही गुजर गई
पहले तोः हम सुन लेते थे
शोर में भी शेह्नैया- 2
अब तोः हमको लगती है
भीड़ में भी तन्हैया
जीने की हसरत किधर गई – 2
दिल की कली बिखर गई
कभी सोते सोते कभी जागते
ख़्वाबों के पीछे यू ही भागते
अपनी तोः सारी उमर गई- 2
खुमारी चढ़ के उतर गई
ज़िंदगी यूं ही गुजर गई
Lyrics: Shaily Shailender
Singer: Jagjit Singh
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मेरी चित्रशाला : दिल दोस्ती प्यार ....या ... .
तुमने मजबूर किया हम मजबूर हो गये ,...
तुम बेवफा निकले हम मशहूर हो गये ..
एक " तुम " और एक मोहब्बत तेरी,
बस इन दो लफ़्ज़ों में " दुनिया " मेरी..
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