Re: ~!!गोनू झा!!~
गोनूक नोकर
गोनू झाक बुद्धिमत्ताक खिस्सा मिथिलाक घर-घर मे आइयो कहल-सुनल जा रहल अछि । गोनूक नोकर रहनि – वसुआ । वसुआ रहय सोझमतिया लोक आ ओकरा एहि बातक मलाल रहैक जे अपन गिरहथे जेंका ओहो चन्सगर किएक ने अछि । ओ बेर-बेर गोनू सँ आग्रह करैक – “मालिक हमरो अपन किछ गुण सिखा दिअ ताकि अहीं जेंका हमरो नाम हुअय । लोक कहैत अछि जे गोनू अपने केहेन बुधियार छथि परन्तु हुनकर नोकर वसुआ केहेन बकलेल अछि आ ई गप्प हमरा एको रत्ती नीक नहि लगैत अछि ।” गोनू ओकरा आई-काल्हि करैत टारैत रहथिन्ह । परन्तु एक दिन वसुआ अड़ि गेल जे आई हम जरुर अहाँ सँ किछु गुण सीखब । गोनू ओकरा हर लऽ कऽ खेत जाय कहलथिन्ह आ पूछि देलथिन्ह जे तों आई की जलखै करबें? “हलुआ लेने आयब गिरहथ” वसुआ जबाव देलक । “ठीक छै” कहैत गोनू ओकरा विदा केलनि आ संगहि गोनू इहो कहलनि जे समय अयला पर हम तोरा सबटा सिखा देबौक । आश्वासन पाबि वसुआ हर लऽ कऽ खेत चलि गेल । ओ खूब मोन सँ खेत जोतलक । ओकरा उम्मीद छलैक जे मालिक आई हलुआ लऽ कऽ आबि रहल छथि । तथापि गोनू जलखैक बेर मे नहि पहुँचलाह । जखन करीब एगारह बजलैक तँ एकटा बड़का बरतन माथ पर लदने गोनू हाजिर भेलाह । हुनक हाव-भाव सँ लगैन जे हो ने हो बरतन मे बहुत रास हलुआ छैक । ओ बर्तन नीचाँ रखलाह आ वसुआ कें जलखै क’ लेबाक लेल कहलथिन्ह ।
वसुआ हाथ मुँह धोलक आ बैसि गेल जलखै करय । तथापि जलखै करै सँ पहिने ओ पुछ्लक जे मालिक एतेक देरी किएक भऽ गेल? हलुआ बनबै मे देरी तँ लगिते छैक – गोनूक सोझ जबाव छल । परन्तु जखनहि गोनू बरतनक ढक्कन हटेलनि तँ वसुआ देखलक जे ओहि मे मात्र एक कौर जोकरक हलुआ छैक । ओ तामसे लाल-पीयर भऽ गेल आ बाजय लागल । तथापि गोनू ओकरा बुझबैत कहलथिन्ह जे देखह! कनिये छैक ताहि सँ की । छैक तँ कतेक नीक । खा के देखहक । वसुआ व्यर्थ मे बहस करब उचित नहि बुझलक । ओ बुझि गेल जे गोनू ओकरा आई छका देलनि अछि । ओ चुपचाप जे हलुआ छलैक से खेलक आ अपन काज मे लागि गेल ।
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