Re: ~!!गोनू झा!!~
दू-चारि दिनक बाद फेर वसुआ पहुँचल दोसर खेत मे हर लऽ कऽ । ओहो आब नियारि लेने छल जे गोनू सँ बदला जरूर लेत । ओहि दिन ओ कनिके दूर मे लगातार हर जोतैत रहल । जखन गोनू जलखै लऽ कऽ अयलाह तँ बेस तमसेलाह जे तों भिनसर सँ एतबे खेत किएक जोतलें । आब वसुआ हुनका बुझबय लागल – “मालिक! बेसक हम कम्मे खेत जोतलहुँ अछि परन्तु देखियौक जे कतेक सुन्दर जोतलौं अछि । माटि कें कतेक मेंही कऽ देलियैक अछि । गर्दा-गर्दा भऽ गेल अछि एतेक दूरक खेत ।” गोनू वसुआक गप्प सुनैत रहलाह आ चुप्प रहलाह । जखन वसुआक गप्प खतम भऽ गेल तँ ओ ओकरा गला लगा लेलाह आ आशीर्वाद देलनि जे एहिना बुधियार बनल रह । वसुआ बुझि गेल जे ओहि दिनक हलुआ वला घटना मालिक हमरे बुझेबाक वास्ते कयने रहथि । आब गोनुए सदृश हुनक नोकर वसुआ सेहो बुधियार भऽ गेल आ शीघ्रे ओकर नाम परोपट्टा मे पसरि गेलैक ।
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