View Single Post
Old 11-01-2011, 07:23 AM   #23
ABHAY
Exclusive Member
 
ABHAY's Avatar
 
Join Date: Oct 2010
Location: Bihar
Posts: 6,259
Rep Power: 34
ABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud of
Post Re: ~!!गोनू झा!!~

फेर छकायल चोर
गोनू रहथि सतर्क आ बुद्धिमान लोक । अपन बुद्धिमत्ता आ विद्वताक बल पर ओ सदैव मिथिलाक राजदरवार मे आदर पाबथि आ यदा-कदा इनाम सेहो । ताहि सँ सौसें ई हल्ला रहैक जे गोनू झा लग बहुत रास संपत्ति छैन आ तें इलाकाक नामी-गिरामी चोर सभ हुनका घर मे चोरि करबाक प्लान बनेलक । चोरि आ सेहो गोनूक घर मे, छल तँ मुश्किल काज, तथापि एकबेर पूरा भऽ गेने बहुत रास धन प्राप्तिक आशा रहैक आ तें चोर सभ एहि दिशा मे काज करब शुरू कयलक ।

सभ सँ पहिने तीन-चारि चोरक एकटा दल कें एकर काज सौंपल गेल आ प्लानक अनुसार ओ सभ साँझ पड़ितहि हुनका दलान पड़हक एकटा पैघ झुड़मुट मे नुका रहल आ राति हेबाक इंतजार करय लागल । परंतु सतर्क गोनू साँझ मे दलान पर अबितहि बूझि गेलाह जे दालि मे जरूर किछु कारी छैक । ओ स्थिरचित्त भऽ एहि समस्या पर विचार केलनि आ अपना पत्नी के दलान पर बजाय, झूठ-मूठ पतरा देखय लगलाह । ओहि दिनक ग्रह दशा पर विचार करैत ओ बजलाह – आजुक ग्रह अपन सभ पर बड़ खराब अछि । पत्नी सशंकित होइत ग्रहक निवारणक उपाय सभ पूछय लगलथिन्ह । ओ पुन: पोथी-पतरा उन्टेलाह आ थोड़ेक कालक उधेर-बुनक पश्चात ई निष्कर्ष निकाललाह जे आई जँ पश्चिम दिस (जेम्हर झुड़मुट मे चोर सभ नुकायल रहय) १०८ टा ढ़ेपा फेकल जाय, तँ ग्रह शान्त भऽ सकैत अछि । जँ ढ़ेपा नम्हर फेकल जाय तँ ग्रहक शान्ति आर तीव्रता सँ भऽ सकैत अछि । पत्नी गोनूक एहि ग्रह शांतिक उपाय सँ सहमति जतेलनि । पुन: गोनू बजलाह जे अहाँ ढ़ेपा आनू आ हम फेकैत छी । फेर की छल शुरू भऽ गेलाह दुनू प्राणी । पत्नी नम्हर-नम्हर ढ़ेपा आनय लगलीह आ गोनू ओकरा पश्चिम दिस फेकय लगलाह, जेम्हर चोर सभ झुरमुट मे नुकायल छल । ढ़ेपा कखनो चोरक नाक पर लगैक तँ कखनो ओकरा सभक कपार पर । गोट पचासेक ढ़ेपा गोनू फेकने हेताह की हुनक पत्नी हर्दा बाजि देलखिन जे आब हमरा बुते नहि होयत ढ़ेपा आनल । ताहि पर गोनू बजलाह जे अहाँ कें ढ़ेपा अननाइ पार नहि लगैत अछि आ ओहि झुरमुट मे नुकायल माहानुभाव सभ सभटा ढ़ेपाक मारि खेलाक बादो एको बेर सगबगेलाह अछि नहि । एत्ते सुनितहि चोर सभ बूझि गेल जे गोनू बाबू हमरा सभ कें देखि लेलनि । ओ सभ झुड़मुट सँ बाहर निकलैत गेल आ आत्मसमर्पण कऽ देलक । ओ सभ पर्याप्त मारि खा चुकल छल आ तें गोनू ओकरा सभ कें माफ कऽ देलनि ।
__________________
Follow on Instagram , Twitter , Facebook .
ABHAY is offline   Reply With Quote